कॉम्पिटिशन एक्साम्स की बेहतर तयारी के लिए अभी करियर टुटोरिअल ऍप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें।
समाज में सबसे महत्वपूर्ण स्थान सम्राट का था।
जाति प्रथा का हिन्दु समाज में बहुत महत्व था। हिन्दु समाज को चार जातियों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) में बांटा हुआ था। पुरानी साहित्यिक पुस्तकों का भण्डार केवल ब्राह्मणों के पास होता था।
स्त्रियों का समाज एवं घर में तो सम्मान था परन्तु समानता की भावना नहीं थी।
मालाबार एवं कुछ क्षेत्रों को छोड़कर हिन्दु समाज पितृ प्रधान था
हिन्दु एवं मुसलमान स्त्रियां परदा करती थी।
बाल विवाह प्रथा प्रचलित थी यद्यपि गौना वयस्क होने पर होता था। ऊंचे वर्गो में दहेज प्रथा बहुत प्रचलित थी।
राजवंशों, बड़े जमींदारों तथा धनाड्य घरों में बहु पत्नी प्रथा चललित थी, परन्तु साधारण लोग एक विवाह ही किया करते थे।
पहले द्विजों में विधवा विवाह प्रायः नहीं होता था। पेशवाओं ने विधवाओं के पुनर्विवाह पर पतदाम नाम का एक कर भी लगाया था।
बंगाल, मध्य भारत, राजस्थान इत्यादि के उच्च हिन्दु कुलों में सती प्रथा भी प्रचलित थी।
समाज में दास प्रथा प्रचलित थी।
हिन्दु एवं मुसलमानों में शिक्षा के प्रति विशेष रूचि रही परन्तु भारतीय शिक्षा का उद्देश्य संस्कृति था साक्षरता नहीं थी
संस्कृत के उच्च अध्ययन के केन्द्रों को बंगाल, नदिया, बिहार तथा काशी में तोल अथवा “चतुष्पाठी” कहा जाता था।
फ्रांसीसी पर्यटक बरनियर ने काशी को भारत का एथंज कहा है। विद्या का प्रचलन प्रायः उच्च वर्णों में ही था परन्तु निम्न वर्णों के बालक भी विद्या प्राप्त कर लिया लेते थे।
स्त्री शिक्षा अभीष्ट नहीं थी।
सवाई जयसिंह ने जयपुर, बनारस, दिल्ली आदि इन नगरों में 5 वेद्यशालाएं बनवायी थीं।
भारतीय अर्थव्यवस्था की आधार इकाई ग्राम थी।
नगरों में हस्तशिल्प का स्तर बहुत ऊपर उठ चुका था। भारतीय माल की संसार की सभी मंडियों में मांग थी।
भारत के प्रमुख हस्तशिल्प केन्द्र
ढ़ाका, अहमदाबाद तथा मसूलीपत्तनम – सूती कपड़ा
मुर्शिदाबाद, आगरा, लाहौर, गुजरात – रेशमी माल
कश्मीर, लाहौर, आगरा -ऊनी शाॅल, गलीचे
भारत में व्यापारी पूंजीपतियों का विकास एवं बैंक पद्धति का विकास हो चुका था।
दक्षिणी भारत में चेट्टियों का उदय हुआ तथा उत्तरी भारत में जगत सेठों ।
18वीं सदी का भारत विषमताओं का देश हो गया था। अत्यंत गरीबी एवं अत्यंत समृद्धि दोनों साथ-साथ पायी जाती थी।
18वीं सदी में भारतीय जनता का जीवन उतना खराब नहीं था जितना 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन में खराब हुआ।