स्टडी मटेरियल

1857 की क्रांति

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1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है  1857 का भारतीय विद्रोह भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक व्यापक लेकिन असफल विद्रोह था जिसने ब्रिटिश राज की ओर से एक संप्रभु शक्ति के रूप में कार्य किया।

1857 की क्रांति के तात्कालिक कारण

लॉर्ड कैनिंग

1857 के भारतीय विद्रोह के केंद्र

10 मई 1857 को मेरठ छावनी की पैदल सैन्य टुकड़ी ने भी इस कारतूसों विरोध कर दिया और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया। 12 मई 1857 को विद्रोहियों ने दिल्ली पर अधिकार कर दिया एवं बहादुरशाह जाफ़र द्वितीय को अपना सम्राट घोषित कर दिया। भारतीयों एवं अंग्रेजों के बीच हुए कड़े संघर्ष के बाद 20 सितम्बर 1857 को अंग्रेजों ने पुनः दिल्ली पर अधिकार कर लिया।

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दिल्ली विजय का समाचार सुनकर देश के विभिन्न भागों में इस विद्रोह की आग फैल गई जिसमें – कानपुर, लखनऊ, बरेली, जगदीशपुर ( बिहार ) झांसी, अलीगढ, इलाहाबाद, फैजाबाद आदि प्रमुख केन्द्र थे।

केंद्रक्रन्तिकारीविद्रोह तिथिउन्मूलन तिथि व अधिकारी
दिल्लीबहादुरशाह जफर, बख्त खां11,12 मई 185721 सितंबर 1857- निकलसन, हडसन
कानपुरनाना साहब, तात्या टोपे5 जून 18576 सितंबर 1857 – कैंपबेल
लखनऊबेगम हजरत महल4 जून 1857मार्च 1858 – कैंपबेल
झांसीरानी लक्ष्मीबाईजून 18573 अप्रैल 1858 – ह्यूरोज
इलाहाबादलियाकत अली18571858 – कर्नल नील
जगदीशपुर (बिहार )कुँवर सिंहअगस्त 18571858 – विलियम टेलर , विंसेट आयर
बरेलीखान बहादुर खां18571858
फैजाबादमौलवी अहमद उल्ला18571858
फतेहपुरअजीमुल्ला18571858 – जनरल रेनर्ड


1857 के विद्रोह की असफलता के कारण

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