स्टडी मटेरियल

अकबर द्वितीय (1806-37 ई.)

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अकबर द्वितीय  को भी अकबर शाह द्वितीय के रूप में जाना जाता है, भारत के अंतिम द्वितीय मुगल सम्राट थे। वह शाह आलम द्वितीय के दूसरे पुत्र और बहादुर शाह ज़फ़र के पिता थे।

अकबर द्वितीय को ही अकबर शाह द्वितीय के नाम से जाना जाता हैं। जब उनके पिता शाह आलम द्वितीय दिल्ली से भाग गए थे और पूरे भारत में थे और वापस सम्राट बनने का सपना देख रहे थे।

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1781 में होने वाले वारिस का दर्जा प्राप्त हुआ। और अकबर द्वितीय को मुगल सम्राट का वारिस घोषित किया गया।

1788 में गुलाम कादिर ने दिल्ली पर हमला किया और उसने सभी मुगल राजकुमार और राजकुमारियों को नृत्य करने के लिए मजबूर किया जिसमें अकबर द्वितीय भी शामिल थे कई और नदी में कूद गई जिसे अपनी जान बचा सके। मराठा सरदार महादजी शिंदे ने जल्द ही आकर गुलाम कादिर को खत्म कर दिया और एक बार फिर मुगल सम्राट का आलम को बचा लिया।

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1806 के बाद में उनको मुगल गददी प्राप्त हुई और उन्होंने 1837 तक मुगल सम्राट के रूप में शासन किया। उन्होंने एक हिंदू मुस्लिमों को एक करने के लिए एक नया तयोहार मनाना शुरू किया जिसको फूल वालों की सैर कहा जाता है और वह आगे चलकर उनके पुत्रों ने भी इस त्यौहार को बनाना चालू रखा और आज तक दिल्ली में त्योहार मनाया जाता है।

1835 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सम्राट का अपमान करने के लिए उनके नाम के सिक्के चलाना बंद कर दिया इस बात को लेकर काफी नाराज हो गए परंतु कि उन्होंने अंग्रेजों के साथ एक से कर ली थी जिसके तहत साम्राज्य का सारा कारोबार ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ में था

इसलिए उन्होंने राजा राममोहन राय को इंग्लैंड भेजा इस बात की दरखास्त करें और मुगल सम्राट के वहां से वहां की महारानी ने इस बात से साफ इंकार कर दिया और इस कारण से दिल बहुत ही दुखी हो अंत में निजाम हैदराबाद के नवाब ने भी सम्मान करना छोड़ दिया।

वह मिजा फखरू को गददी पर देखना चाहते थे परंतु वजीर और कई सारे मंत्रियों को कहने पर बहादुर शाह जिनहे बहादुर शाह जफर नाम से भी जानते हैं और बहादुर शाह जफर को गददी दिलाई।

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जफर 1837 में मुगल सम्राट बने और अंतिम मुगल सम्राट के रूप में जाने जाते हैं 1857 में उनकी गद्दी खत्म कर दी गई और उनको बर्मा भेज दिया गया जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गई।इस तरह 332 सालों से चले आये महान मुगल साम्राज्य का अंत 1857 में हो गया।

शासन

अकबर द्वितीय मुग़ल वंश का 18वाँ बादशाह था। वह शाहआलम द्वितीय का पुत्र था। उसका शासनकाल 1806-1837 ई. तक रहा। उसी के शासन के दौरान 1803 ई. में दिल्ली पर भी उनका क़ब्ज़ा हो गया।