स्टडी मटेरियल

पुर्तगाली (1498)

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  1. पहला पुर्तगाली – वास्कोडिगामा
  2. आगमन – 17 मई 1498 
  3. स्थान – कालीकट (भारत)
  4. दूसरा पुर्तगाली यात्री – पेड्रो अल्ब्रेज कैब्राल ( 1500 ई.)

कार्ट्ज- आर्मेडा काफिला पद्धति-

पुर्तगालियों ने कार्ट्ज – आर्मेडा काफिला पद्धति के द्वारा भारतीय तथा अरबी जहांजों को कार्ट्ज या परमिट के बिना अरब सागर में प्रवेश वर्जित कर दिया।

अरबी और भारतीय जहांजों को जिन्हें कार्ट्ज प्राप्त होता था,को कालीमिर्च और गोला बारूद ले जाने की अनुमति नहीं थी।

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पुर्तगालियों ने काफिला प्रणाली के अंतर्गत छोटे स्थानीय व्यापारियों के जहांजों को समुद्री यात्रा के समय संरक्षण प्रदान किया। इसके लिए जहांजों को चुंगी देनी होती थी।

पुर्तगाली अधिकार वाले क्षेत्रों से व्यापार करने  के लिए मुगल सम्राट अकबर को भी पुर्तगालियों से कार्ट्ज या परमिट लेना पङा।

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1632ई. में शाहजहाँ ने पुर्तगालियों के अधिकार से हुगली को छीन लिया था,औरंगजेब ने चटगांव के समुद्री लुटेरों का सफाया कर दिया था।

पुर्तगालियों ने भारत या पूर्व के साथ व्यापार में वस्तु विनिमय का सहारा नहीं लिया, यहां से वस्तुओं की खरीद में पुर्तगीज सोना,चांदी तथा अन्य अनेक बहुमूल्य रत्नों का प्रयोग करते थे।

पुर्तगाली मालाबार और कोंकण तट से सर्वाधिक कालीमिर्च का निर्यात करते थे. मालाबार तट से अदरख, दालचीनी, चंदन,हल्दी,नील आदि का निर्यात होता था।

उत्तर-पश्चिचम भारत से पुर्तगाली राफ्टा (वस्र) आदि  ले जाते थे। जटामांसी बंगाल से दक्षिण – पूर्वी एशिया से लाख,लौंग, कस्तूरी आदि का क्रय करते थे।

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भारत से केवल कालीमिर्च के खरीद के लिए पुर्तगाली प्रतिवर्ष 1,70,000 क्रूजेडो भारत लाते थे।

पुर्तगाली गवर्नर अल्फांसो डिसूजा (1542-45ई.) के साथ प्रसिद्ध जेसुइट संत फ्रांसिस्को जेवियर भारत आया।

पुर्तगाली गोवा,दमन और दीव पर 1961ई. तक शासन करते रहे।

पुर्तगालियों के भारतीय व्यापार के पतन के निम्नलिखित कारण थे-

  1. भारतीय जनता के प्रति धार्मिक असहिष्णुता का भावना,
  2. गुप्त रूप से व्यापार करना तथा डकैती और लूटमार को अपनी नीति का हिस्सा बनाना,
  3. नये उपनिवेश ब्राजील की खोज,
  4. अन्य यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों से प्रतिस्पर्धा,
  5. अपर्याप्त व्यापारिक तकनीक,
  6. पुर्तगीज वायसरायों पर पुर्तगाली राजा का अधिक नियंत्रण।

पुर्तगालियों के भारत आगमन से भारत में तंबाकू की खेती,जहांज निर्माण (गुजरात और कालीकट) तथा प्रटिंग प्रेस की शुरुआत हुई।

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1556ई. में गोआ में पुर्तगालियों ने भारत का प्रथम प्रिटिंग प्रेस स्थापित किया। भारतीय जङी-बूटियों और औषधिय वनस्पतियों पर यूरोपीय लेखक द्वारा लिखित पहले वैज्ञानिक ग्रंथ का 1563 में गोआ से प्रकाशन हुआ।

ईसाई धर्म का मुगल शासक अकबर के दरबार में प्रवेश फादर एकाबिवा और माँसरेत के नेतृत्व में हुआ।

पुर्तगालियों के साथ भारत में गोथिक स्थापत्यकला का आगमन हुआ।

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