स्टडी मटेरियल

मुगल साम्राज्य (1526 ई.-1857 ई.)

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मुगल, मंगोल एवं तुर्की वंश के मिश्रण से उत्पन्न वंश था। माता की ओर से ये मंगोलवंशी चंगेज खान से संबंध रखते थे तथा पिता की ओर से ये तुर्क शासक तैमूर के वंशज थे तथा मुगलों ने स्वयं को तिमूर वंशी माना है।

प्रमुख युद्ध-

पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल,1526)

बाबर को लगता था कि दिल्ली की सल्तनत पर फिर से तैमूरवंशियों का शासन होना चाहिए। एक तैमूरवंशी होने के कारण वो दिल्ली सल्तनत पर कब्ज़ा करना चाहता था। उसने सुल्तान इब्राहिम लोदी को अपनी इच्छा से अवगत कराया। इब्राहिम लोदी के जबाब नहीं आने पर उसने छोटे-छोटे आक्रमण करने आरंभ कर दिए। सबसे पहले उसने कंधार पर कब्ज़ा किया।

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खानवा का युद्ध (17 मार्च 1527)

17 मार्च 1527 में मेवाड़ के शासक राणा सांगा और बाबर के मध्य हुआ था। इस युद्ध में राणा सांगा का साथ खास तौर पर मुस्लिम यदुवंशी राजपूत उस वक़्त के मेवात के शासक खानजादा राजा हसन खान मेवाती और इब्राहिम लोदी के भाई मेहमूद लोदी ने दिया था, इस युद्ध में मारवाड़, अम्बर, ग्वालियर, अजमेर, बसीन चंदेरी भी मेवाड़ का साथ दे रहे थे।

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चंदेरी पर आक्रमण (29 जनवरी 1528)

मेवाड विजय के पश्चात बाबर ने अपने सैनिक अधिकारियों को पूर्व में विद्रोहियों का दमन करने के लिए भेजा क्योंकि पूरब में बंगाल के शासक नुसरत शाह ने अफ़गानों का स्वागत किया था और समर्थन भी प्रदान किया था इससे उत्साहित होकर अफ़गानों ने अनेक स्थानों से मुगलों को निकाल दिया था बाबर को भरोसा था कि उसका अधिकारी अफगान विद्रोहियों का दमन करेंगे अतः उसने चंदेरी पर आक्रमण करने का निश्चिय कर लिया। चंदेरी का राजपूत शासक मेदिनीराय खंगार खानवा युद्ध में राणा सांगा की ओर से लड़ा था

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घाघरा का युद्ध (6 मई 1529)

बीच में महमूद लोदी बिहार पहुंच गया और उसके नेतृत्व में एक लाख सैनिक एकत्रित हो गए इसके बाद अफ़ग़ानों ने पूर्वी क्षेत्रों पर आक्रमण कर दिया महमुद लोदी चुनार तक आया। ऐसी स्थिति में बाबर ने उनसे युद्ध करने के बाद जनवरी 1529 ईस्वी में आगरा से प्रस्थान किया।

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बाबर

उज्बेकसफवीउस्मानली (ऑटोमन )
ट्रांसआक्सियाना/मावरा-उन-नहर पर शासनईरान पर शासनआधुनिक तुर्की तथा सीरिया पर शासन

ऑटोमन साम्राज्य एवं सफवियों के बीच संघर्ष : बगदाद, ईरान एवं अजरबैजान के प्रभुत्व को लेकर एवं शिया व सुन्नी का आपसी झगड़ा।

तैमूर एवं उज्बेकों के मध्य संघर्ष : इनका संघर्ष कजाकिस्तान में उज्बेक खानों की रियासत की स्थापना के बाद मंगोल एवं तुर्क के साथ था।

सफवी → ट्रांसआक्सियान ← ओटोमन

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तिमूरवंश

बाबर का भारत अभियान

सन् 1519 ई. में बाबर ने अपना आक्रमण बाजौर पर किया और बाजौर एवं भीरा को जीत लिया। यह भारत विजय के लिए किया गया पहला आक्रमण था। इसी युद्ध में बाबर ने सर्वप्रथम बारूद एवं तोपखाने का प्रयोग किया।

पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल, 1526)

बाजौर एवं भीरा पर कब्जा करने के बाद बाबर उन प्रदेशों पर अपना अधिकार जताने लगा जो तैमूर ने जीते थे। इसी क्रम में बाबर ने इब्राहिम लोदी के पास एक दूत भेजकर कहलवाना चाहा कि वह जो इलाके तैमूर के थे उन्हें बाबर को वापस कर दे। परन्तु लाहौर के सूबेदार दौलत खां लोदी ने उस दूत को इब्राहिम लोदी के पास नहीं जाने दिया।

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दौलत खां लोदी ने अपनी आय का हिस्सा इब्राहिम को नहीं पहुंचाया था इस कारण सुल्तान की कार्यवाही के डर से अपने बेटे दिलावर खां को बाबर के पास भेजा एवं भारत पर आक्रमण करने का न्यौता दिया। इब्राहिम लोदी से पराजित होकर बहलोल लोदी का बेटा आलम खां लोदी भी बाबर के पास काबुल पहुंच गया। ठीक इसी समय राणा सांगा का एक दुत भी बाबर के पास पहुंचा एवं बाबर को दिल्ली पर आक्रमण के लिए न्यौता दिया और कहा जिस समय बाबर दिल्ली पर आक्रमण करेगा उसी समय राणा सांगा आगरा पर आक्रमण करेगा।

उपरोक्त घटनाओं के बाद बाबर को आभास हो गया कि भारत को जीतना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा और इसी महत्वाकांक्षा के साथ बाबर ने पानीपत के युद्ध को लड़ा एवं विजय प्राप्त की।

घटनाक्रम

पानीपत के युद्ध के परिणाम

तथ्य

बाबर की मृत्यु

बाबर की मृत्यु 26 दिसम्बर, 1530 ई. को आगरा में हुई। बाबर को आगरा के आराम बाग में दफनाया गया था किन्तु बाद में काबुल में दफनाया गया था।

तथ्य

बाबर ने ‘ तुजुक-ए-बाबरी (बाबर नामा) ’ नामक आत्मकथा तुर्की भाषा में लिखी।

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बाबर ने काबुल में शाहरूख एवं कंधार में बाबरी नामक सिक्के चलाए।

बाबर ने ‘सुल्तान’ की परंपरा को तोड़ा एवं खुद को ‘बादशाह’ घोषित किया।

बाबर ने नापने के लिए गज-ए-बाबरी नामक माप का प्रयोग किया।

बाबर ने मुबईयान नामक पद्य शैली का विकास किया

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बाबर के चार पुत्र थे – 1-हुमायूॅ 2-कानरान 3-असकरी 4-हिन्‍दाल।