पानीपत का दूसरा युद्ध अकबर के वजीर व संरक्षक बैरम खां एवं मोहम्मद आदिल शाह सूर के वजीर हेमू के बीच हुआ। इसमें हेमू पराजित हुआ एवं मारा गया।
हेमू के पास अकबर से कहीं अधिक बड़ी सेना तथा 1,500 हाथी थे।
प्रारंभ में मुगल सेना के मुकाबले में हेमू को सफलता प्राप्त हुई, लेकिन दुर्भाग्य से एक तीर हेमू की आंख में घुस गया और उसने युद्ध का पासा पलट दिया। बाद में हेमू को गिरफ्तार कर उसकी हत्या कर दी गई ।
पानीपत की दूसरी लड़ाई के फलस्वरूप दिल्ली और आगरा अकबर के अधिकार में आ गये।
इस लड़ाई के बाद दिल्ली के तख्त के लिए मुगलों और अफगानों के बीच चलने वाला संघर्ष समाप्त हो गया और दिल्ली पर मुगलों का कब्जा हो गया और अगले तीन सौ वषों तक बरकरार रहा।