स्टडी मटेरियल

ताजुद्दीन फिरोज (1397-1422 ई.)

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ताजुद्दीन फिरोज बहमनी वंश का सर्वाधिक विद्वान सुल्तानों में से एक। ताजुद्दीन फिरोज ने विदेशों से अनेक प्रसिद्ध विद्वानों को दक्षिण में आकर बसने के लिए प्रेरित किया। इसने मुहम्मदाबाद भीमा नदी के किनारे इसने भीमा नदी के किनारे नगर की नींव डाली।

उसने एशियाई विदेशियों या अफाकियों को बहमनी साम्राज्य में आकर स्थायी रूप से बसने के लिए प्रोत्साहित किया।

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जिसके परिणामस्वरूप बहमनी अमीर वर्ग अफीकी और दक्कनी दो गुटों में विभाजित हो गया। यह दलबंदी बहमनी साम्राज्य के पतन और विघटन का मुख्य कारण सिद्ध हुआ।

फिरोजशाह बहमनी का सबसे अच्छा कार्य प्रशासन में बड़े स्तर पर हिन्दुओं को सम्मिलित करना था, कहा जाता है इसी समय से दक्कनी ब्राम्हण प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने लगे। उसने दौलताबाद में एक बेधशाला बनवाई।

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सुल्तान ताजुद्दीन फिरोज द्वारा पश्चिम एशियाई देशों जैसे-ईराक, ईरान एवं अरब देशों से विदेशी मुसलमानों को भी आमंत्रित किया और उन्हें प्रशासन में उच्च पद दिया।

उसने अकबर के फतेहपुर सीकरी की भांति भीमा नदी के किनारे फिरोजाबाद नगर की नींव डाली। गुलबर्गा युग के सुल्तानों में यह अंतिम सुल्तान था।

इसका शासन काल गुलबर्गा के संत गेसूदराज के साथ संघर्ष के कारण दूषित हो गया।

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