स्टडी मटेरियल

बौद्ध धर्म

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बौद्ध धर्म की स्थापना भगवान बुद्ध के द्वारा की गयी। इस धर्म के मुख्यत: दो संप्रदाय है हिनयान और महायान। वैशाख माह की पूर्णिमा का दिन बौद्धों का मुख्य त्योहार होता है। बौद्ध धर्म के चार तीर्थ स्थल हैं- लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर। बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथ को त्रिपिटक कहा जाता है।

गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापति गौतमी ने किया।

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29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाह के बाद एकलौते प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चातबोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।

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बौद्ध धर्म

नोट – गृह त्याग की घटना का उल्लेख पालिग्रंथ महापरिणढ़वाण सुत्त में मिलता है।

अनोम नदीवैशालीराजगीरउरूवेला
घर त्यागने के बाद घोड़े एवं सारथी को छोड़ाअलारकलाम से तप क्रिया एवं उपनिषद के ज्ञान की प्राप्तिरूद्रकराम पुत्र से योग ज्ञान की प्राप्तिनिरंजना नदी तट पर वैशाख पूर्णिमा की रात सत्य एवं ज्ञान का आलोक प्राप्त

नोट – गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश एवं दीक्षा ऋषि पत्तन (सारनाथ) में दिए। इसका उल्लेख संयुक्त निकाय में मिलता है। प्रथम उपदेश में ही गौतम बुद्ध ने चार आर्य सत्यों को बताया।

चार आर्य सत्य

  1. दुख: दुख है।
  2. दुःख समुदाय: दुख का कारण है।
  3. दुःख निरोध: दुःख का निदान है।
  4. दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा: दुःख निदान के उपाय हैं।

अष्टांगिक मार्ग

तथ्य

धर्म चक्र दिवस सारनाथ में गौतम बुद्ध द्वारा अपने पांच तपस्वी शिष्यों (पांच भिक्षुओं) को पहला उपदेश देने की स्मृति में मनाया जाता है।

बोद्ध संघ की स्थापना

बौद्ध भिक्षुओं के लिए आवश्यक 10 शील (सिद्धांत)

  1. दुसरे के धन की इच्छा न करना
  2. झूठ नहीं बोलना
  3. हिंसा से दूर रहना
  4. मादक द्रव्यों का सेवन न करना
  5. व्यभिचार नहीं करना
  6. संगीत एवं नृत्यों में भाग नहीं लेना
  7. सुगंधित द्रव्यों का उपयोग नहीं करना
  8. असमय भोजन नहीं करना
  9. सुखप्रद बिस्तर पर नहीं सोना
  10. किसी प्रकार के द्रव्य का संचय न करना

प्रथम पांच सिद्धांतों का पालन करना उपासकों (गृहस्थों) के लिए भी अनिवार्य था। संन्यासियों/भिक्षु/भिक्षुणियों के लिए ये सभी सिद्धांत अनिवार्य थे।

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संघ के अधिकारी

चैत्य एवं विहार में अंतर

चैत्य – ये एक प्रकार की समाधि स्थल थे इन समाधि स्थलों में महापुरूषों को शवदाह के बाद उनके धातु अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए इन समाधियों में भूमि के अन्दर गाढ़ दिया जाता था एवं ऊपर एक भवन का निर्माण किया जाता था। ये उपासना के केन्द्र थे।

विहार – चैत्यों के पास ही बौद्ध धर्म के भिक्षुओं को रहने के लिए आवास स्थानों का निर्माण कर दिया जाता था। ये आवास स्थान ही विहार कहलाते थे। ये आवास के केन्द्र थे।

पवरना समारोह – वर्षा ऋतु के समय बौद्ध धर्म के प्रचार का कार्य नहीं किया जाता था। इस समय बौद्ध भिक्षु विहारों में ही रहते थे। वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद पवरन समारोह का आयोजन किया जाता था जिसमें सभी बौद्ध भिक्षु इन चार माह में किए गए अपराधों को स्वीकार करते थे।

उपोसत्थ समारोह – इस समारोह का आयोजन किसी विशेष अवसर पर सभी भिक्षुओं द्वारा धर्म पर चर्चा करने के लिए किया जाता था।

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बौद्ध संघ से जुड़े शब्द

बौद्ध धर्म की मान्यताएं/दर्शन

बुद्ध के जीवन की चार महत्वपूर्ण घटनाए

  1. गृह त्याग – महाभिनिष्क्रमण
  2. सम्बोधि – ज्ञान प्राप्ति/निर्वाण
  3. प्रथम उपदेश – धर्म चक्र प्रवर्तन
  4. देहावसन – महापरिनिर्वाण

बुद्ध के जीवन की घटनाओं के प्रतीक

प्रमुख बौद्ध संगीतियां

संगीतिसमयस्थलअध्यक्षसंरक्षकनिवरण/कार्य
प्रथम483 ई.पू.राजगीरमहाकश्यपअजातशत्रुसुत पिटक एवं विनय पिटक रचना
द्वितीय383 ई.पू.वैशाली सब्बकमीर/स्थवीरयशकालाशोकसंघ महासंघिक व स्थवीरयश/वादी में बंट गया
तृतीय250 ई.पूपाटलिपुत्रमोगलिपुत्र तिस्सअशोकअभिधम्मपिटक का संकलन
चतुर्थ98 ई.पूकुण्डलवनवसुमित्रकनिष्कहीनयान व महायान में विभाजन

बुद्ध के शिष्य

बुद्ध की प्रमुख शिष्यांए

  1. महाप्रजापति गौतमी (सौतेली माता एवं प्रथम शिष्या)
  2. यशोधरा (पत्नि)
  3. नंदा (सौतेली बहिन)
  4. आग्रपाली
  5. विशाखा
  6. क्षेमा (बिम्बिसार की पत्नि)

प्रमुख बोधिसत्व

बौद्ध धर्म के संरक्षक राजा

  1. बिम्बिसार/अजात शत्रु (मगध नरेश)
  2. प्रसेन जित (कोशल नरेश)
  3. उदयन (वत्स नरेश)
  4. प्रधोत्त (अवन्ति नरेश)
  5. अशोक व दशरथ (मौर्य वंश)
  6. कनिष्क (कुजाण वंश)
  7. हर्षवर्धन (पुज्यभूति वंश)
  8. सहसी वंश
  9. पाल वंश

बौद्ध धर्म के अष्ठ महास्थान

  1. लुम्बिनी
  2. बोधगया
  3. सारनाथ
  4. कुशीनारा
  5. श्रावस्ती
  6. संकीसा
  7. राजगृह
  8. वैशाली

बौद्ध धर्म की लोकप्रियता के कारण

बौद्ध धर्म व जैन धर्म में तुलना

समानताएं

  1. दोनों धर्म अनीश्वरवादी थे।
  2. दोनों धर्म वैदिक सिद्धांत नहीं मानते थे।
  3. दोनों धर्मो द्वारा यज्ञ विधान एवं कर्मकाण्डों का विरोध किया
  4. दोनों धर्मो द्वारा जाति प्रथा एवं लिंग भेद की निन्दा थी
  5. दोनों धर्मो द्वारा पुनर्जन्म में विश्वास था

असमानताएं

  1. जैन धर्म में अहिंसा पर अत्यधिक बल किन्तु बौद्ध धर्म जैन धर्म से कम अहिंसा पर बल देता है।
  2. जैन धर्म आत्मा को शाश्वत मानता है अर्थात जीव में आत्मा होती है किन्तु बौद्ध धर्म ईश्वर एवं आत्मा दोनों को ही नहीं मानता (जैन धर्म आत्मा वादी है तथा बौद्ध धर्म अनात्मवादी है।)
  3. जैन धर्म में कठोर तपस्या आत्महत्या (संलेखना) को मान्यता है बौद्ध धर्म में ऐसा नहीं है।
  4. जैन धर्म का विकास भारत के बाहर नहीं जबकि बौद्ध धर्म वैश्विक है।
  5. जैन धर्म वर्ण व्यवस्था की निन्दा नहीं करता जबकि बौद्ध धर्म वर्ण व्यवस्था की निन्दा करता है।

हीनयान

महायान

बौद्ध धर्म के अन्य सम्प्रदाय

वज्रयान सम्प्रदाय

प्रमुख बौद्ध विद्धान

  1. अश्वघोष – कनिष्क के समकालीन थे, इन्होंने बुद्धचरितम ग्रंथ की रचना की थी।
  2. नागार्जुन – इन्होंने बौद्ध दर्शन के माध्यमिक विचार धारा का प्रतिपादन किया है जो शुन्यवाद के नाम से जानी जाती है।
  3. वसुबन्ध – बौद्ध धर्म का विश्वकोष कहे जाने वाले अभिधम्म कोश की रचना की।
  4. बुद्धघोष – इनके द्वारा लिखी गयी पुस्तक विशुद्धि मार्ग हीनयान सम्प्रदाय का प्रमुख ग्रंथ है।

बौद्ध साहित्य

त्रिपिटक – ये बौद्ध धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ हैं-

अन्य बौद्ध ग्रंथ

प्रज्ञापारमिता – महायान सम्प्रदाय की सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिक पुस्तक है इसके लेखक नागार्जुन हैं।

जातक – इसमें भगवान बुद्ध के 8400 पूर्व जन्मों की 500 से अधिक गाथाएं हैं। यह खुद्दक निकाय (सुत्तपिटक) का 10वां ग्रंथ है।

थेरगाथा एवं थेरीगाथा में अंतर

थेरगााथा – यह बौद्ध भिक्षुओं द्वारा संकलित ग्रंथ है।

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थेरीगाथा – यह बौद्ध भिक्षुणियों द्वारा संकलित ग्रंथ है।

बौद्ध धर्म के पतन के कारण