स्टडी मटेरियल

लोथल सभ्यता (2400 ई.पू.)

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लोथल लगभग 2400 ईसापूर्व पुराना, प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस शहर की खुदाई 13 फ़रवरी 1955 से लेकर 19 मई 1956 के बीच की थी। लोथल, अहमदाबाद जिले के धोलका तालुका के गाँव सरागवाला के पास स्थित है। अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन के स्टेशन लोथल भुरखी से यह दक्षिण पूर्व दिशा में 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोथल अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर और धोलका शहरों से पक्की सड़क द्वारा जुड़ा है जिनमें से सबसे करीबी शहर धोलका और बगोदरा हैं। लोथल को मिनी हडप्पा कहा जाता है।

लोथल गोदी जो कि विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गोदी है, सिंध में स्थित हड़प्पा के शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच बहने वाली साबरमती नदी की प्राचीन धारा के द्वारा शहर से जुड़ी थी, जो इन स्थानों के मध्य एक व्यापार मार्ग था। उस समय इसके आसपास का कच्छ का मरुस्थल, अरब सागर का एक हिस्सा था। प्राचीन समय में यह एक महत्वपूर्ण और संपन्न व्यापार केंद्र था जहाँ से मोती, जवाहरात और कीमती गहने पश्चिम एशिया और अफ्रीका के सुदूर कोनों तक भेजे जाते थे। मनकों को बनाने की तकनीक और उपकरणों का समुचित विकास हो चुका था और यहाँ का धातु विज्ञान पिछले 4000 साल से भी अधिक से समय की कसौटी पर खरा उतरा था।

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1961 में भारतीय पुराततव सर्वेक्षण ने खुदाई का कार्य फिर से शुरू किया और टीले के पूर्वी और पश्चिमी पक्षों की खुदाई के दौरान उन वाहिकाओं और नालों को खोद निकाला जो नदी के द्वारा गोदी से जुड़े थे। प्रमुख खोजों में एक टीला, एक नगर, एक बाज़ार स्थल और एक गोदी शामिल है। उत्खनन स्थल के पास ही एक पुरात्तत्व संग्रहालय स्थित हैं जिसमें सिंधु घाटी से प्राप्त वस्तुएं प्रदर्शित की गयी हैं।

नगर योजना

लोथल सभ्यता में घरो के द्वार मुख्य सङको पर खुलते थे। लोथल सभ्यता पश्चिम ऐशिया में व्यापार का प्रमुख केन्द्र हुआ करती थी।

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प्रमुख और गौण शहर

लोथल से पक्की मिट्टी की नाव का साक्ष्य प्राप्त हुआ है तथा सर्वाधिक महत्वपर्ण बंदरगाह लोथल स्थित जवारिय बंदरगाह था

नोट – एस.आर.राव नेे लोथल को लघुु हड़़पा/लघु मोहनजोदडो़ कहा।