स्टडी मटेरियल

महाजनपद काल (600 ई.पू. से 325 ई.पू.)

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प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को महाजनपद कहा जाता था। उत्तर वैदिक काल में कुछ प्रमुख जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में भी इनका कई बार उल्लेख हुआ है।

ईसापूर्व 6वीं-5वीं शताब्दी को प्रारम्भिक भारतीय इतिहास में एक मुख्य मोड़ के रूप में माना जाता है जहाँ सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आन्दोलनों (बौद्ध पन्थ और जैन पन्थ सहित) का उदय हुआ।

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महाजनपद काल के स्त्रोत-

बौद्ध साहित्य

अंगुत्तर निकाय तथा महावस्तु से 16 महाजनपदों के बारे में जानकारी मिलती है। सुत्त पिटक तथा विनय पिटक से महाजनपद काल की जानकारी मिलती है।

जैन साहित्य

भगवती सूत्र से 16 महाजनपदों की जानकारी मिलती है।

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विदेशी विवरण

नियार्कस, जस्टिन, प्लूटार्क, अरिस्टोबुलस एवं अनेसिक्रिटस आदि विदेशी नागरिकों की रचनाओं से भी महाजनपद काल के बारे में जानकारी मिलती है।

महाजनपद

महाजनपद एवं उनकी राजधानिया-

नोट – इनमें से 15 महाजनपद नर्मदा घाटी के उत्तर में थे जबकि अश्मक गोदावरी घाटी में स्थित था।

महाजनवस्तु में जिन महाजनपदों की सूची मिलती है उनमें गांधार एवं कंबोज के स्थान क्रमशः शिवि (पंजाब) एवं दर्शना (मध्य भारत) का उल्लेख है। महाजनपद काल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता “आहत सिक्का” या “पंचमार्क सिक्का” है। महाजनपद काल में लोग उत्तरी काले मृद भाण्डों का प्रयोग करते थे।

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महाजनपद एवं उनकी विशेषताएं

अंग

  1. राजधानी – चम्पा (प्राचीन नाम – मालिनी)
  2. क्षेत्र – आधुनिक भागलपुर व मुंगेर (बिहार)
  3. प्रमुख नगर – चम्पा (बंदरगाह), अश्वपुर, भद्रिका
  4. शासक – बिम्बिसार के समय यहां का शासक ब्रह्मदत्त था। ब्रह्मदत्त को मगध के शासक बिम्बिसार ने पराजित कर अंग को मगध में मिलाया था।

अवन्त

  1. राजधानी – उज्जैन एवं महिष्मति
  2. क्षेत्र – उज्जैन जिले से लेकर नर्मदा नदी तक (मध्य प्रदेश)
  3. शासक – महावीर स्वामी तथा गौतम बुद्ध के समकालीन यहां का शासक चण्ड प्रद्योत था।
  4. प्रमुख नगर – कुरारगढ़, मुक्करगढ़ एवं सुदर्शनपुर
  5. पुराणों के अनुसार अवन्ति के संस्थापक हैहय वंश के लोग थे।
  6. बिम्बिसार ने वैध जीवक को चण्ड प्रधोत के उपचार के लिए भेजा था।

नोट – लोहे की खान होने के कारण यह एक प्रमुख एवं शक्तिशाली महाजनपद था।

वत्स

अश्मक

  1. राजधानी – पोटन/पैथान (प्राचीन नाम – प्रतिष्ठान)
  2. क्षेत्र – नर्मदा एवं गोदावरी नदियों के मध्य का भाग
  3. स्थापना व शासक – इसकी स्थापना इक्वाकु वंश के शासक मूलक द्वारा।
  4. यह एक मात्र महाजनपद था जो दक्षिण भारत में स्थिात था।
  5. जातक के अनुसार, यहां के शासक प्रवर अरूण ने कलिंग पर विजय प्राप्त की एवं अपने राज्य में मिलाया।
  6. कालान्तर में अवन्ति ने अश्मक राज्य पर विजय प्राप्त की।

काशी

कौशल

  1. राजधानी – श्रावस्ती/कुसावती/अयोध्या
  2. क्षेत्र – आधुनिक अवध (फैजाबाद, गोण्डा, बहराइच) का क्षेत्र/सरयू नदी
  3. शासक – बुद्ध के समकालीन यहां का शासक प्रसेनजित था।
  4. महाकाव्य काल में इसकी राजधानी अयोध्या थी।
  5. प्रसेनजित ने अपनी पुत्री वाजिरा का विवाह अजातशत्रु के साथ किया और काशी दहेज में दिया था।

कुरू

पांचाल

  1. राजधानी – अहिक्षत्र एवं काम्पिल्य
  2. यहां का शासक चुलामी ब्रह्मदत्त था।
  3. इस महाजनपद के अन्दर बरेली, बदायु, फर्रूखाबाद क्षेत्र शामिल थे।
  4. इसका उल्लेख महाभारत एवं अष्ठाध्यायी में मिलता है।

सूरसेन/शूरसेन

मल्ल

  1. राजधानी – कुशीनारा/पावापुरी
  2. यहां का शासक ओक्काक था।
  3. यहां का शासन गणतंत्रात्मक था।
  4. इस महाजनपद में ही महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ था।

वज्जि

कम्बोज

  1. राजधानी – हाटक
  2. (वैदिक युग में – राजपुर)
  3. यहां पाकिस्तान का रावपिण्डी, पेशावर, काबुल घाटी का क्षेत्र शामिल था।
  4. यह क्षेत्र श्रेष्ठ घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था।
  5. महाभारत में यहां के दो शासक चन्द्रवर्मण एवं सुदक्षिण की चर्चा हुई है।

चेदी

गान्धार

  1. राजधानी – तक्षशिला
  2. यहां का शासक बिम्बिसार के समकालीन पुष्कर सरीन था।
  3. इसमें आधुनिक पेशावर, रावलपिण्डी का क्षेत्र शामिल था।
  4. गांधार के शासक द्रुहिवंशी थे।
  5. यह क्षेत्र ऊनी वस्त्र उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था।

मत्स्य

मगध

  1. राजधानी – गिरिव्रज/राजगीर/राजगृह
  2. यह आधुनिक बिहार के ‘पटना’ एवं ‘गया’ जिले तक व्याप्त था।
  3. नोट – पुराणों एवं बौद्ध/जैन ग्रंथ के अनुसार मगध पर सर्वप्रथम शासक वंश को लेकर मतभेद है।
  4. पुराणों के अनुसार मगध पर सबसे पहले ब्रहद्रथ वंश ने शासन किया जबकि बौद्ध ग्रंथ के अनुसार मगध पर सर्वप्रथम हर्यक वंश का शासन था।

पुराणों के अनुसार मगध के शासक

वृहद्रथ वंश

संस्थापक – बृहद्रथ (महाभारत व पुराणों के अनुसार)

जरासंध (बृहद्रथ का पुत्र)

हर्यक वंश (अन्य नाम – पित्हंता वंश)

स्थापना – हर्यंक वंश की स्थापना बिम्बिसार ने की थी।

बिम्बिसार

अजातशत्र

उदयनि

शिशुनाग वंश

कालाशोक (394 ई.पू. से 366 ई.पू.)

नन्द वंश

महापद्मनन्द

घनानन्द

मगध के उदय के कारण

महाजनपदों के उदय के कारण

महाजनपद कालीन प्रशासन

प्रमुख अधिकारी

महाजनपद कालीन अर्थव्यवस्था

नगरों का विकास एवं लोहे का कृषि कार्यो, युद्ध अस्त्रों में उपयोग इस काल की महत्वपूर्ण विशेषता है।

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तैत्तरीय अरण्यक में प्रथम बार नगरों का उल्लेख हुआ है।

इस काल में 60 नगरों का उल्लेख मिलता है। जिनमें 6 महानगर थे –

  1. राजगृह
  2. श्रावस्ती
  3. कौशाम्बी
  4. चम्पा
  5. काशी
  6. साकेत (अयोध्या)

अर्थव्यवस्था में सकरात्मक परिवर्तन व मजबूती के कारण

  1. लोहे का विस्तृत एवं विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग।
  2. विस्तृत क्षेत्र पर कृषि एवं विभिन्न फसलों का उत्पादन।
  3. विभिन्न नगरों का उदय एवं विकास।
  4. हस्तशिल्प उधोग का विभेदीकरण एवं श्रेणियों का गठन।
  5. कर वसूली में नियमितता एवं अनिवार्यता तथा कर अदा करने वालों का विस्तार।
  6. लेन-देन एवं विनिमय के लिए आहत सिक्कों का प्रचलन।
  7. संगठित एवं सुनियोजित प्रशासनिक व्यवस्था।
  8. आग्रहायण यज्ञ (नवसस्येष्टि) – फसल तैयार होने पर किया जाने वाला यज्ञ।
  9. सुत्तनिपात – इस ग्रंथ में गाय को अन्नदा, वनदा एवं सुखदा कहा गया है।
  10. गहपति – यह शब्द बड़े एवं धनवान जमींदारों के लिए प्रयोग किया जाता था।

श्रेणी एवं पुग में अन्तर

बौद्धकालीन सिक्कों के नाम

निष्क, स्वर्ण, पाद, माषक, काकिनी, कार्षापण आदि।

नोट – इस काल में वेतन एवं भुगतान सिक्कों में किया जाता था।

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महाजनपद कालीन समाज

महाजनपद काल में दास प्रथा का अत्यधिक विकास हुआ था। इस काल में दासों को कृषि कार्यो में लगाया जाने लगा परन्तु इससे पहले दास केवल घरेलु कार्य के लिए होते थे। इस काल में दासों की खरीद-फरोख्त की जाने लगी। इसका कारण कृषि कार्यो में विस्तार था।

महाजनपद कालीन धर्म

इस काल में मुख्यतः बौद्ध एवं जैन धर्म का प्रभाव रहा ब्राह्मण वाद एवं पुरोहित वाद की स्थिति कमजोर रही।

उत्तर भारत के अन्य सम्प्रदाय

नियतिवादी/भाग्यवादी/आजीवक सम्प्रदाय।

इसका प्रथम आचार्य नन्दवक्ष था परन्तु वास्तविक संस्थापक मखली गोशाल था। मखली गोशाल बुद्ध के समकालीन थे।

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विशेषताएं – ये कर्मसिद्धांत को नहीं मानते थे। ये भाग्यवादी थे ये जीव को भाग्य के अधीन मानते थे तथा ये अनीश्वरवादी थे। ये आजीवन नग्न रहते थे। बिन्दसार ने इस सम्प्रदाय को संरक्षण दिया था।

अशोक ने गुफाओ का निर्माण कराया था।

भौतिकवादी – (लोकायत दर्शन)

उच्छेदवाद

अक्रियावादी – (आजीवक सम्प्रदाय में विलीन)