स्टडी मटेरियल

महमूद गजनवी (998-1030 ई.)

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महमूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था। 998 ई. में सुबुक्तगीन की मृत्यु के बाद महमूद गजनवी गजनी का शासक बना। खलीफा अल-कादिर-बिल्लाह ने महमूद को ‘सम्मान का चोगा’ दिया और यमीन उद्दौला (साम्राज्य की दक्षिण भुजा), अमीन-उल-मिल्लत (धर्म संरक्षक) की उपाधियां प्रदान की। सुल्तान की उपाधि तुर्की शासकों ने प्रारंभ की थी। उसे यह उपाधि बगदाद के खलीफा ने प्रदान की। सुल्तान की उपाधि लेने वाला पहला शासक महमूद गजनवी था।

महमूद ग़ज़नवी  मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी राजवंश के एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान भूमि में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता हैं। गजनवी तुर्क मूल का था और अपने समकालीन (और बाद के) सल्जूक़ तुर्कों की तरह पूर्व में एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफल हुआ।

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इसके द्वारा जीते गए प्रदेशों में आज का पूर्वी ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और संलग्न मध्य-एशिया (सम्मिलित रूप से ख़ोरासान), पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत शामिल थे।

इसके युद्धों में फ़ातिमी ख़िलाफ़त (शिया), काबुल शाही (हिन्दू) और कश्मीर का नाम प्रमुखता से आता है। भारत में इस्लामी शासन लाने और अपने छापों के कारण भारतीय हिन्दू समाज में गजनवी को एक आक्रामक शासक के रूप में जाना जाता है।

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1025 ई. में जब महमूद गजनवी गुजरात जीतकर आ रहा था तो, सोमनाथ मंदिर के पंडितो ने महमूद गजनबी से कहा कि तुमने गुजरात तो जीत लिया।

अगर तुझमें हिम्मत है तो देवी का मंदिर लूट कर दिखा। (उस समय सोमनाथ मंदिर में एक मूर्ति चुंबक के द्वारा हवा में रुकी हुई थी ) तो महमूद गजनबी ने एक तरफ की चुंबक और बहुत सारा मंदिर का अपार धन अपने साथ ले गया। यह ब्रिटिश इतिहासकारों ने अपनी किताबो में लिखा है।

वह पिता के वंश से तुर्क था पर उसनेफ़ारसी भाषा के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाँलांकि गजनवी के दरबारी कवि फ़िरदौसी ने शाहनामा की रचना की पर वह हमेशा फ़िरदौसी का समर्थन नहीं करता था। 

ग़ज़नी, जो मध्य अफ़ग़ानिस्तान में स्थित एक छोटा-सा शहर था, इसकी बदौलत साहित्य और संस्कृति के एक महत्वपूर्ण केंद्र में बदल गया। बग़दाद के अब्बासी ख़लीफ़ा ने महमूद को फ़ातिमी ख़िलाफ़त के विरुद्ध जंग करने के इनाम में ख़िल’अत और सुल्तान की पदवी दी। सुल्तान की उपाधि इस्तेमाल करने वाला गजनवी पहला शासक था।

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महमूद को भारतीय सूत्रों में गर्जनेश और गर्जनकाधिराज कहा गया है।

गजनवी के भारतीय आक्रमण

इसने खैबर दर्रे से रास्ते से 1001 ई. में पंजाब के आस-पास के क्षेत्रों में भारत पर प्रथम आक्रमण किया। महमूद गजनवी का पहला आक्रमण हिन्दुशाही शासक जयपाल के विरूद्ध था।महमूद गजनबी ने 1001 ई. से 1027 ई. के बीच भारत पर 17 बार आक्रमण किए-

1.पंजाब का सीमावर्ती क्षेत्र, 2. पेशावर, 3.भटिण्डा, 4.मुल्तान, 5.मुल्तान, 6.वैहिद(पेशावर), 7.नारायणपुर(अलवर), 8.मुल्तान, 9.थानेश्वर, 10.नन्दन, 11. कश्मीर, 12. मथुरा व कन्नौज, 13. कालिंजर, 14. कश्मीर, 15. ग्वालियर व कालिंजर, 16. सोमनाथ मंदिर, 17. सिंध के जाट।

महमूद गजनवी के आक्रमण के कारण

  1. अपने राज्य की सुरक्षा के लिए शाही वंश पर आक्रमण करना।
  2. राज्य विस्तार एवं अपने शत्रुओं को पराजित करने के लिए धन की आपूर्ति करना।
  3. अपने विरूद्ध भारतीय राजाओं को संगठित या दलबंदी करने का अवसर नहीं देना चाहता था।
  4. इस्लाम का प्रचार-प्रसार करना भी उसका एक गौण उद्देश्य था

महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणाम

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