स्टडी मटेरियल

सुबुक्तगीन (977-997 ई.)

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अलप्तगीन की मृत्यु के बाद सुबुक्तगीन (977-997) ग़ज़नी की गद्दी पर बैठा था। प्रारंभ में वह एक दास था, जिसे अलप्तगीन ने ख़रीद लिया था। अपने ग़ुलाम की प्रतिभा से प्रभावित होकर अलप्तगीन ने उसे अपना दामाद बना लिया था और ‘अमीर-उल-उमरा’ की उपाधि से उसे सम्मानित किया। सुबुक्तगीन भारत पर आक्रमण करने वाला पहला तुर्क शासक था। इसने 986 ई. में जयपाल(शाही वंश के राजा) पर आक्रमण किया और जयपाल को पराजित किया। जयपाल का राज्य सरहिन्द से लमगान (जलालाबाद) और कश्मीर से मुल्तान तक था। शाही शासकों की राजधानी क्रमशः ओंड, लाहौर और भटिण्डा थी।

अलप्तगीन का ग़ुलाम सुबुक्तगीन था ये दोनो तुर्की के रहनेवाले थे एक बार एक यात्रा के दौरान यह दोनों अफगानिस्तान पहुंचें और अलप्तगीन ने अफगानिस्तान में तुर्की साम्राज्य की स्थापना की कुछ समय बाद अलप्तगीन ने अपनी पुत्री का विवाह सुबुक्तगीन के साथ करवा दिया अलप्तगीन की मृत्यु 963 में हो गई। इसके पुत्र का नाम गजिनी था। उस समय पंजाब का शासक जयपाल था जयपाल को हराने के बाद सुबुक्तगीन पहला तुर्क शासक बन गया जिसने भारत पर हमला किया था

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सुबुक तिगिन ख़ोरासान के ग़ज़नवी साम्राज्य के स्थापक थे और भारत पर अपने छापों के लिए प्रसिद्ध महमूद ग़ज़नवी के पिता। अल्प तिगिन, सामानी साम्राज्य के एक सूबेदार थे जो ख़ोरासान (उत्तरी अफ़गानिस्तान, पूर्वोत्तर ईरान और सटा हुआ मध्य-एशिया) के शासक के रूप में काम करते थे। सुबुकतिगिन उनके ग़ुलाम थे।

जब अल्प तिगिन ने सामानी शासकों के ख़िलाफ़ विद्रोह किया तब उन्होंने सुबुकतिगिन को ग़ज़नी का प्रभारी बना दिया और अपनी बेटी की शादी उनसे कर दी। सुबुकतिगिन ने अलप्तिगिन के दो परवर्ती शासकों के अन्दर भी एक ग़ुलाम के रूप में शासन का कार्यभार देखा और सन् 977 में ये ग़ज़नी के अमीर बने।

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सन् 997 में इनकी मृत्यु के बाद इनके छोटे बेटे ईस्माईल शासक बने पर उनके बड़े भाई महमूद ने उनके ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया और ख़ुद ग़ज़नी के सुल्तान बन बैठे।