स्टडी मटेरियल

केन्द्रीय शासन व्यवस्था

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भारत सरकार, जो आधिकारिक तौर से संघीय सरकार व आमतौर से केन्द्रीय सरकार के नाम से जाना जाता है, 28 राज्यों तथा 8 केन्द्र शासित प्रदेशों के संघीय इकाई जो संयुक्त रूप से भारतीय गणराज्य कहलाता है, की नियंत्रक प्राधिकारी होती है। भारतीय संविधान द्वारा स्थापित भारत सरकार नई दिल्ली, दिल्ली से कार्य करती है।

भारत के नागरिकों से संबंधित कानून जैसे नागरिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता आदि का निर्माण मुख्यतः संसद द्वारा किया जाता है।

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केन्दीय शासन व्यवस्था को निम्न भागो में बांटा जाता है –

लोक सभा –

प्रथम लोकसभा का गठन 17 अप्रैल, 1952 को किया गया। इसकी प्रथम बैठक 13 मई, 1952 को की गयी। लोकसभा के गठन के बारे में संविधान के दो अनुच्छेद 81 तथा 331 में प्रावधान किया गया है। मूल संविधान में लोकसभा की सदस्य संख्या निर्धारित करके 500 की गयी थी, किन्तु बाद मेंइसको बढ़ा दिया गया। 31वें संविधान संशोधन, 1974 के द्वारा लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 547 निर्धारित की गयी। वर्तमान में गोवा, दमन और दीव पुनर्गठन अधिनियम, 1987 द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि लोकसभा के अधिकतम सदस्य संख्या 552 हो सकती है।

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अनुच्छेद 81(1) (क) तथा (ख) के अनुसार लोकसभा का गठन राज्यों में प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों के द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए 530 से अधिक नहीं होने वाले सदस्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 20 से अधिक न होने वाले सदस्यों के द्वारा किया जाएगा। इस प्रकार लोकसभा में भारत की जनसंख्या द्वारा निर्वाचित 550 सदस्य हो सकते हैं।

अनुच्छेद 331 के अनुसार यदि राष्ट्रपति की राय में लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला हो तो वह आंग्ल भारतीय समुदाय के दो व्यक्तियों को लोकसभा के लिए नाम निर्देशित कर सकता है। अत: लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 हो सकती है। यह संख्या लोकसभा के सदस्यों की सैद्धान्तिक गणना है और व्यहावहरत: वर्तमान समय में लोकसभा की प्रभावी संख्या –

530 (राज्यों के प्रतिनिधि) + (संघ क्षेत्रों के प्रतिनिधि) + 2 (राष्ट्रपति द्वारा नाम निर्देशित) = 545

लोक सभा की सीटों की संख्या और प्रकार –

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राज्य सभा

संसद भवन, नई दिल्ली भारतीय संविधान के प्रवर्तन के पश्चात ‘काउंसिल ऑफ स्टेट्स’ (राज्यसभा) का सर्वप्रथम गठन 3 अप्रैल, 1952 को हुआ था। इसकी प्रथम बैठक 13 मई, 1952 को की गयी थी। इसकी अध्यक्षता तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा की गई थी। 23 अगस्त 1954 को सभापति ने सदन में घोषणा की गयी – ‘काउंसिल ऑफ स्टेट्स’ को अब राज्यसभा कहा जाएगा।

राज्य सभा का गठन

संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्यसभा का गठन 250 सदस्यों द्वारा होगा, इनमें से 12 सदस्यों के नाम राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित किये जाते हैं तथा शेष 238 का चुनाव राज्य तथा संघ राज्यक्षेत्रों की विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है। राज्यसभा में राज्यों तथा संघ राज्यक्षेत्रों की विधान सभाओं के लिए आवंटित स्थान को संविधान की चौथी अनुसूची में अन्तर्विष्ट किया गया है। इस अनुसूची में केवल 233 स्थानों के सम्बन्ध में उल्लेख किया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि, वर्तमान समय में राज्यसभा की प्रभावी संख्या 245 (राष्ट्रपति द्वारा नामित सदस्यों सहित) है। वे 12 सदस्य जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए नामित किया जाता है, उन्हें साहित्य, विज्ञान, कला तथा समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव होना चाहिए।

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