स्टडी मटेरियल

नगर निगम

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नगर निगम विभिन्न स्थानीय सरकारों के प्रशासन संगठन का नाम होता है। यह किसी नगर परिषद या ज़िले, ग्राम, बस्ती या अन्य स्थानीय शासकीय निकायों के अंतर्गत काम करता है। कानूनी रूप से नगर निगम की स्थापना तब की जाती है जब किसी नगर, बस्ती या ग्राम को स्वशासन का अधिकार प्रदान किया जाता है। यह एक कानूनी लिखत पारित कर किया जाता है, जो नगरीय अधिकारपत्र (municipal charter) कहलाता है, जिसमें प्रशासन संचालन व उच्चतम नगर अधिकारियों के चुनाव या नियुक्ति की विधि स्पष्ट की जाती है।

नगर निगम के लिए योग्यता –

नगर निगम के सदस्य

नगर निगम में एक समिति का निर्माण किया जाता है जिस समिति में सभासद के साथ-साथ एक नगर अध्यक्ष भी होता है। नगर निगमों का गठन पंचायती राज व्यवस्था के निगम अधिनियम,1835 के अंतर्गत होता है जो शहरों को आवश्यक सामुदायिक सेवाएं प्रदान करते हैं। नगर अध्यक्ष नगर निगम का प्रमुख होता है। निगम प्रभारी नगर आयुक्त के अधीन होता है। निगम के विकास की योजना बनाने के कार्यक्रमों की निगरानी और कार्यान्वयन करने का कार्य नगर अध्यक्ष और सभासद के साथ-साथ कार्यकारी अधिकारी द्वारा भी किया जाता है। सभासदों की संख्या भी शहर के क्षेत्र और आबादी की संख्या पर निर्भर करती है।

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भारत के सबसे बड़े निगम चार मेट्रोपॉलिटन शहरः – दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई।

महापौर –

महापौर (Mayor) को नगर का प्रशासक भी कहा जाता है। मेयर के लिए प्रत्येक पांच वर्ष में नगर निगम का चुनाव आयोजित किया जाता है। इस चुनाव में कई पार्षदो का चुनाव किया जाता है, इन्ही पार्षदों में से एक पार्षद का एक वर्ष के लिए मेयर पद के लिए चुनाव किया जाता है। नगर निगम के पार्षदों को आम जनता द्वारा चुना जाता है।

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नगर निगम की चुनावी प्रक्रिया –

नगर निगम के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से लोगों द्वारा किए गए मतदान द्वारा किया जाता है। ये चुनाव शहर के एक विशेष वार्ड में आयोजित होते है। अपने वार्ड के लिए प्रतिनिधि या सभासद का चुनाव एक निजी वार्ड की निर्वाचक नामावली के द्वारा होता है। प्रत्येक वार्ड में निर्वाचक नामावली वार्ड के क्षेत्र के आधार पर एक या कई भागों में विभाजित किया जाता है जिसके प्रत्येक भाग में मतदाता होते हैं। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक भाग में शामिल मतदाता सड़क या मोहल्ले या उस वार्ड के भीतर एक नामित क्षेत्र से जुड़े होते हैं। सभी हिस्सों के मतदाता एक साथ विशेष वार्ड के चुनावी तालिका का निर्माण करते है।

नगर निगम का कार्यकाल

नगर निगम का कार्यालय की अवधि पहली बैठक की शुरुआत से पांच साल की अवधि तक होता है। निम्नलिखित परिस्थतियों में इसको विघटित किया जा सकता है –