स्टडी मटेरियल

नगर पंचायत

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नगर पंचायत सरकार की स्थाई इकाई होती है यह सभी गांवों पर समान रूप से कार्य करती हैं अतःइसे प्रशासनिक ब्लॉक भी कहा जाता हैं। ग्राम पंचायत और जिला परिषद के बीच की मजबूत कड़ी होती है और अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे आंध्र प्रदेश में इसे मंडल प्रजा परिषद और गुजरात में तालुका पंचायत तथा कर्नाटक में मंडल पंचायत कहलाती है। किसी भी ग्राम सभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है क्योंकि हर गांव में एक प्रधान होता है। इस आधार पर एक हजार आबादी वाले गांवों में 10 पंचायत सदस्य और 3000 की आबादी वाले गांव में 15 सदस्य होते हैं।

साल में लगभग 2 बार ग्राम सभा की बैठक होना आवश्यक होता है जिसकी सूचना 15 दिन पहले दी जानी चाहिए है। ग्राम प्रधान को ग्रामसभा की बैठक बुलाने का अधिकार प्राप्त होता है। बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की उपस्थिति आवश्यक होती है।
ग्राम पंचायत द्वारा बनाये किए गए सभी भावी योजनाओं को इकट्ठा करके पंचायत समिति उनका वित्तीय प्रबंध का समाज कल्याण और और क्षेत्र विकास को ध्यान में रखते हुये लागू करवाती है तथा वित्त पोषण के लिए उनका क्रियान्वयन किया जाता है।

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योग्यताएं –

नगर पंचायत का गठन व चुनाव प्रक्रिया

नगर पंचायत के कार्य –