स्टडी मटेरियल

नगरपालिका

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किसी राज्य के स्थानीय शहरी शासन में जनता की भागीदारी को बढ़ने के लिए 74वें संविधान संसोधन के रूप में शहरी स्थानीय शासन को सशक्त बनाया गया जिसे भाग 9 (क) में नगरपालिकाएं कहा गया था और यह ही सामान्य रूप में नगरपालिका कहलाती है

नगरपालिका का गठन –

नगरपालिका का कार्यकाल

अनुच्छेद 243 (प) के अनुसार नगरपालिका का कार्यकाल निर्धारित किया गया। नगरपालिका की अवधि अपने प्रथम अधिवेशन की तारीख से 5 वर्ष तक होती है किंतु समय से पूर्व भी इस का विघटन किया जा सकता है। यदि इसका विघटन किया जाता है तो विघटन की तारीख से 6 माह के अंदर उसका पुनर्गठन किया जाना चाहिए। पुनर्गठित नगरपालिका, विघटित नगरपालिका के शेष कार्यकल तक कार्य करेगी।

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नगरपालिका के कार्य एवं शक्तियां (अनुच्छेद 243 ब)

नगर पालिका का संगठन

नगर पालिका परिषद :- नगर पालिका की परिषद को नगर परिषद भी कहा जाता है। इसमें नगर के विभिन्न वार्डों से निर्वाचित सदस्य होते हैं तथा कुछ सदस्य मनोनित भी किये जाते हैं।

पदाधिकारी :- नगर परिषद अपने सदस्यों के बीच से एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष को चुनते है। नगर पालिका अध्यक्ष का पद बहुत ही प्रतिष्ठा का पद होता है। यह परिषद की सभाओं की अध्यक्षता करता है तथा विचार विमर्श में परिषद के सदस्यों का मार्गदर्शन भी करता है। नगर पालिका के प्रशासनिक कार्यों का सीधा नियंत्रण अध्यक्ष के द्वारा होता है। अध्यक्ष की अनुपस्थिती में उपाध्यक्ष परिषद की सभाओं की अध्यक्षता करता है।

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अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के अलावा एक कार्यपालक पदाधिकारी भी होता है, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है। वह नगर पालिका की परिषद के रुप में कार्य किया जाता है और नगर पालिका कार्यालय का प्रभारी भी होता है। इसकी मदद के लिए एक पदाधिकारी तथा कर्मचारी होते हैं।

समितियाँ :- नगर पालिका अपने विभिन्न कार्यों को कुशलतापूर्वक पूरा करने के लिए कुछ समितियों का गठन करती है जिसमें परिषद के अनुभवी तथा कर्मठ सदस्यों को शामिल करती है। इन समितियों में शिक्षा समिति, जल समिति, लोक निर्माण समिति, नागरिक स्वास्थ्य समिति आदि प्रमुख हैं।

नगरपालिकाएं का महत्व