अधिगम सिद्धांतों में ‘क्षेत्र सिद्धांत’ के अंतर्गत कोहलर का सूझ सिद्धांत अथवा अंतर्दृष्टि सिद्धांत का वर्णन किया गया है।
अंतर्दृष्टि सिद्धांत की व्याख्या कोहलर ने अपनी पुस्तक ‘गेस्टाल्ट साइकोलॉजी’ (1959) में की है।
गेस्टाल्ट एक जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ ‘समग्रता अथवा पूर्णता’ है। इसके प्रतिपादकों में मेक्स वरदाइमर में कूर्ट कोफ्का और वोल्फगेंग कोहलर उल्लेखनीय है.
इसे सीखने का ‘गेस्टाल्ट सिद्धांत’ भी कहा जाता है। गेस्टाल्ट सिद्धांत में आकार की पूर्णता को महत्व दिया जाता है उसके विभिन्न अंगों पर ध्यान नहीं दिया जाता है क्योंकि अंगों की अपेक्षा संपूर्ण हमेशा बड़ा होता है।
एंडरसन के अनुसार “अंतर्दृष्टि से तात्पर्य समस्या के हल को यकायक प्राप्त कर लेने से है” अर्थात अधिगमकर्ता प्रत्यक्षीकरण और विचारों को संगठित करके किसी समस्या का उपयुक्त समाधान प्रस्तुत करता है।
कॉहलर ने अपने प्रयोग में सुल्तान नामक चिंपांजी पर अध्ययन किया।
कोहलर ने एक पिंजरे में सुल्तान नामक चिंपांजी को बंद कर दिया। पिंजरे में दो छड़े इस प्रकार रखी गई कि उन्हें एक दूसरे में फंसाकर लंबा बनाया जा सकता था और पिंजरे के बाहर केले इधर-उधर रखे गए थे। चिंपांजी केलों तक नहीं पहुंच सकता था। केलों को देखकर चिंपांजी उन्हें लेने का प्रयास करने लगा किंतु बिना छोड़ो की सहायता से उन्हें प्राप्त करना कठिन था। यकायक चिंपांजी की दृष्टि छड़ो पर गई और उसने केलो और छड़ी के मध्य संबंध स्थापित कर लिया। उसने छड़ों को उठाया अचानक दोनों को एक दूसरे में फंसाया और उन्हें लंबा कर लिया तथा उन छड़ों की सहायता से केलों को अपनी ओर खींच कर प्राप्त कर लिया।
इस प्रकार कोहलर ने अपने प्रयोग में निष्कर्ष निकाला कि जीव संपूर्ण वातावरण का प्रत्यक्षीकरण करता है और उसके आधार पर उसमें सूझ उत्पन्न होती है उसमें वह अपनी समस्या का समाधान करना सीख लेता है। संक्षिप्त में क्षेत्र का प्रत्यक्षीकरण होना तथा क्षेत्र का पुनर्गठन करना ही सूझ या अंतर्दृष्टि है।
1. लक्ष्य 2. बाधा 3.तनाव 4.संगठन 5.पुर्नसंगठन
सूझ का सिद्धांत व्यावहारिक शिक्षण में अत्यंत उपयोगी है किंतु इसकी भी कुछ कमियाँ है जो कि निम्न है-
1. अभ्यास के प्रभाव की उपेक्षा- इस सिद्धांत की यह सबसे बड़ी कमी है कि अभ्यास के प्रभाव की उपेक्षा करता है तथा केवल तर्क, सूझ, तुलना आदि को ही महत्व देता है।
2. अंतर्दृष्टि को यकायक मानना-प्रसिद्ध वैज्ञानिक आलपोर्ट का मानना है कि सूझ क्रिया अचानक में न होकर क्रमिक होती है।