आवृतबीजी पौधों में बीज बंद रहते हैं और इस प्रकार यह अनावृतबीजी से भिन्न हैं। इनमें जड़, तना, पत्ती तथा फूल भी होते हैं। एक बहुत ही बृहत् और सर्वयापी उपवर्ग है। इस उपवर्ग के पौधों के सभी सदस्यों में पुष्प लगते हैं, जिनसे बीज फल के अंदर ढकी हुई अवस्था में बनते हैं। ये वनस्पति जगत् के सबसे विकसित पौधे हैं। मनुष्यों के लिये यह उपवर्ग अत्यंत उपयोगी है। बीज के अंदर एक या दो दल होते हैं। आवृतबीजी पौधों में दो वर्ग हैं :-
यह सबसे बाहरी एकल स्तरीय, अंतर कोशिकीय स्थल विहीन कोशिका की परत होती है। इस पर रंध्र व उपत्वचा (Cuticle) नहीं पाए जाते। इस पर एक कोशिकीय मूलरोम पाए जाते हैं।
यह बहुस्तरीय मृदुत्तकी कोशिकाओं के द्वारा बना होता है। इस में अंतर कोशिका अवकाश पाए जाते हैं। यह जल व खनिज लवणों का संवहन पूल (Vascular Bundle) तक परिवहन करता है। इसमें वर्णी लवक व मंण्ड कण पाए जाते हैं।
यह वल्कुट की सबसे आंतरिक परत है। यह ढोलक के आकार की कोशिकाओं के द्वारा बनी होती है। कैस्पेरियन पट्टीकाएँ व मार्ग कोशिकाएं पाई जाती है।
यह एंडोडर्मिस के भीतर की ओर पाया जाता है। यह मृदुत्तकी कोशिकाओं का बना होता है। पार्श्व मूलो का निर्माण परिरम्भ के द्वारा होता है।
द्वितीयक वृद्धि के दौरान का बने अंतरा पुलिया एधा का निर्माण भी इसी के द्वारा ही होता है।
जड़ों में अरीय, बाह्यआदिदारूक (Exarch) प्रकार की संवहन पूल पाए जाते हैं।
मज्जा बहुत छोटी या अनुपस्थित होती है।
यह लंबी, पतली, चपटी कोशिकाओं का बना एकल स्तर है। इन पर मूल रोम पाए जाते हैं जो एक कोशिकीय होते हैं इन पर रंध्र एवं उप त्वचा उपस्थित नहीं होती है। मूल रोम के द्वारा जल का अवशोषण किया जाता है। यह मूल के पुराने भागों में अनुपस्थित होते है।
यह मूलीय त्वचा के नीचे स्थित होती है। यह जल व खाद्य पदार्थ का संचय करती है। यह मृदुतकी कोशिकाओं से बनी होती है। इनमें अंतरा कोशिकीय अवकाश पाए जाते हैं।
जड़ों के परिपक्व होने पर मूल त्वचा नष्ट हो जाती है। जिसके फलस्वरूप वह वल्कुट की कोशिकाएं लिग्निन युक्त होकर बाह्य मूलीय त्वचा का निर्माण करती हैं। जिसे एक्सोडर्मिस कहते हैं।
यह वल्कुट का सबसे भीतरी भाग है। यह ढोलक के आकार की कोशिकाओं द्वारा बना होता है। इसमें अंतर कोशिकीय अवकाश नहीं पाए जाते।
इनकी कोशिकाओं में कैस्पेरियन पट्टीयां पाई जाती है। परंतु परिपक्व कोशिकाओं में कैस्पेरियन पट्टीकाएँ नहीं पायी जाती है। इनमें प्रोटोजाइलम के सामने की कोशिकाएं मार्ग कोशिकाओं का निर्माण करती है।
यह अंतस्त्वचा के नीचे पतली भित्ति वाली मृदुत्तकी कोशिकाओं का एक परत है। इससे पार्श्व मूल की उत्पत्ति होती है।
जड़ों में अरीय बाह्यआदिदारुक व बंद प्रकार के संवहन बंडल पाए जाते हैं।
एकबीजपत्री के फ्लोएम में फ्लोएम मृदुतक मौजूद नहीं होता है।
संवहन पुल के बीच में मृदुतकी कोशिकाएं पाई जाती है। जो की संयोजी उत्तक कहलाती है। इनकी कुछ कोशिकाएं दृढ़ोत्तकी होकर यांत्रिक बल प्रदान करती है।
संवहन पुल के मध्य में मृदुतकी कोशिकाओं का एक समूह पाया जाता है। जिसे मज्जा कहते हैं, इसमें अंतरा कोशिकीय अवकाश मौजूद होते हैं। एकबीजपत्री जड़ में बड़ी एवं मज्जा सुविकसित होती है।