हैं। पादप कोशिकाओं में गॉल्जीकाय छोटे-छोटे समूहों में होते हैं जिन्हें डिक्टोसोम कहा जाता हैं। इसका कार्य गॉल्जीकाय में एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ER) में बने प्रोटीन व एन्जाइम का सान्द्रण, रूपान्तरण व संग्रहण करना होता है। कोशिका भित्ति के लिए हेमी सेल्युलोस का निर्माण तथा स्राव गॉल्जीकाय से होता है।
गाल्जीकाय एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम के पास एक समूह के रूप में पाया जाता है। यह उच्च कोटि के पादपों तथा जन्तुओं में अनेक झिल्लियों के रूप में पायी जाने वाली एक रचना है। यह झिल्लियाँ एक के ऊपर एक समानान्तर क्रम में सुव्यवस्थित होती हैं। कैमीलियो गाल्जी ने इसे इसका नाम दिया तथा उन्हीं के नाम पर इस रचना को गाल्जीकाय कहते हैं।
गाल्जीकाय लगभग समस्त यूकैरियोटिक कोशिकाओं में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह परिपक्वशुक्राणुओं, लाल रक्त कणिकाओं, कुछ कवकों आदि में भी पाया जाता है।
गॉल्जी काय अनेक प्रकार के प्रोटीन या अन्य अणुओं को पुटीकाओं के माध्यम से आवश्यक स्थानों तक पहुंचाने का कार्य है इसलिए इसको कोशिका के अणुओं के यातायात का निर्देशक (director of macromolecular traffic in cell), कोशिका का मध्यवर्ती (middle man of cell) या कोशिका का ट्रैफिक पुलिस (traffic police of cell) कहते है।
जटिल पॉलीसेकेराइड का संश्लेषण (Synthesis of complex polysaccharide) पौधों में गॉल्जी काय पौधों की कोशिका भित्ति में काम आने वाले के जटिल पॉलीसेकेराइड को संश्लेषित करता हैं।
गाल्जीकाय अनेक यूकैरियोटिक कोशिकाओं में दो रूपों में पाया जाता है-
इस प्रकार का गाल्जी काम्लेक्स अकशेरुकी प्राणियों की कोशिकाओं में तथा निषेचित कशेरुकी कोशिकाओं जैसे तंत्रिका कोशिकाओं तथा यकृत कोशिकाओं आदि में पाया जाता है। इनमें से गाल्जीकाय की डिक्टियोसोम्स इकाई साइटोप्लामिक मैट्रिक्स में एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुल के साथ पायी जाती है। इस प्रकार गाल्जीकाय सम्पूर्ण कोशाद्रव्य में विसरित दशा में फैली हुयी पायी जाती है।
इस प्रकार के गाल्नीकाय एक निश्चित स्थान पर एक जगह स्थित होते हैं तथा यह केन्द्रक और स्रावण छिद्र के पास अकेले या समूह में पाये जाते हैं। थायरायड कोशिकाओं, पैन्क्रियाज तथा आंत्रीय म्यूकस कोशिकाओं में इस प्रकार का गाल्जीकाय पाया जाता है। अधिकांश गाल्जीकाय तारककाय के ऊपर या चारों तरफ पायी जाती है।