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यह एक कठोर परत है जो सेल्युलोज, ग्लाइकोप्रोटीन, लिग्निन, पेक्टिन और हेमिसेलुलोज से बनी होती है। यह कोशिका झिल्ली के बाहर स्थित होती है। इसका स्थान पौधों की कोशिकाओं, साथ ही कवक, बैक्टीरिया, आर्किया और शैवाल में प्लाज्मा झिल्ली के बाहर है। दीवार का कार्य है कोशिका सामग्री की रक्षा करें, कठोरता दें और पौधों की संरचना को परिभाषित करें। इसके अलावा, यह कोशिका और पर्यावरण के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।
कोशिका भित्ति के कार्य
पादप कोशिका में कोशिका भित्ति का प्राथमिक कार्य कोशिका को संरचनात्मक सहायता प्रदान करना और उसकी सुरक्षा करना है।
पादप कोशिका की दीवार भी यांत्रिक तनाव के से कोशिका की रक्षा करने और कोशिका को रूप और संरचना प्रदान करने का काम करती है।
यह कोशिका के अंदर और बाहर गुजरने वाले अणुओं को भी छानती है।
कोशिका भित्ति की संरचना –
1. मध्य पट्टिका (Middle Lamella):
यह फ्रैगमोप्लास्ट से कोशिका विभाजन के दौरान बनने वाली प्रथम परत है यह कोशिका की सबसे बहार की परत होती हैं।
यह दो आसन्न कोशिकाओं के बिच स्थित होती हैं।
यह कैल्शियम तथा मेगनीसियम पेक्टिन और प्रोटीन से बनी हुई होती हैं।
2. प्राथमिक भित्ति (Primary Wall):
यह पेक्टिन, सेल्युलोज, हेमिसेल्यूलोज और प्रोटीन के द्वारा बनी होती हैं।
यह मध्य लामेला के बाद बनती हैं।
सभी वनस्पति कोशिकाओं में एक मध्य पट्टिका और प्राथमिक भित्ति होती हैं।
3. द्वितीयक भित्ति (Secondary Wall):
कोशिका की वृद्धि बंद होने के बाद यह बनती है।
यह अत्यंत मजबूत होती है।
यह सेल्युलोज, हेमिसेल्यूलोज और लिग्निन से बनी होती है। इनका निर्माण लिग्निन का जमाव होने से होता है।
4. तृतीयक भित्ति (Tertiary Wall):
यह कोशिका भित्ति की सबसे आन्तरिक परत हैं। यह केवल कुछ जिम्नोस्पर्म पादपों के जायलम की वाहिका में पाई जाती है। यह जाइलान नामक कार्बोहाइड्रेट की बनी होती है।
कोशिका भित्ति की परासरंचना-
तंतु/रेशक (Fibril)-
लगभग 3000 ग्लूकोज अणुओं से एक सेल्यूलोज अणु बनता हैं।
100 सेलूलोज़ अणु एक मिसेल बनाते हैं।
20 मिसेल से एक सूक्ष्म फाइब्रिल बनता हैं।
250 माइक्रो-फाइब्रिल 250 Ǻ व्यास के सेलूलोज़ का मैक्रो-फाइब्रिल बनाते हैं।
रेशक प्राथमिक भित्ति में धुरी के उर्ध्व और द्वितीयक भित्ति में समानांतर पाये जाते है।
मैट्रिक्स (Matrix)-
यह Cell Wall का आधारी भाग हैं।
इसमें हेमिसेल्यूलोज, पेक्टिन, ग्लाइकोप्रोटीन, लिपिड और पानी होते हैं।
यह रेशक के रिक्त स्थान के बीच पायी जाती हैं।
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