जिस अपररूप मे कार्बन परमाणु एक अनिश्चित सुव्यवस्था में व्यवस्थित रहते हैं, अक्रिस्टलीय अपररूप कहलाते हैं। शक्कर को गर्म करके उसमें निहित जल का वाष्पीकरण कर दिया जाए अथवा शक्कर में दो-तीन मिली लीटर सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल (Conc H2SO4) डालने पर कला पदार्थ अवशेष के रूप में रह जाता है, इसे शर्करा चारकोल (Sugar charcoal) कहते हैं।
कोयला मुख्य कार्बन के यौगिकों का मुक्त कार्बन मिश्रण होता है। जिस रासायनिक प्रक्रिया द्वारा वानस्पतिक पद्धार्थों कोयले में परिवर्तित होता है, उसे कार्बनिकरण (carbonisation) कहा जाता है। यह ऊर्जा अनवीनीकृत स्त्रोत होती है। कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला चार किस्मों का होता है। बिटुमिनस (soft coal) सामान्य किस्म का एन्थ्रेसाइट कोयला उच्च कोटि का कोयला है। लिग्नाइट को भूरा कोयला (brown coal ) कहते है।
कोयले के उपयोग
कोक-
कोयले को वायु की अनुपस्थिति में गर्म करने पर इसके वाष्पशील अवयव मुक्त हो जाते हैं, जो अवशेष बचता है, उसे कोक कहा जाता हैं।
कोक का उपयोग
गैस कार्बन-
यह विद्युत का सुचालक होता हैं। इसका उपयोग इलेक्ट्रोड बनाने में किया जाता है।
चारकोल कार्बन का एक अशुद्ध रूप होता है। यह दो प्रकार का होता है – पादप चारकोल एवं जंतु चारकोल।
काजल, कार्बन युक्त पदार्थों को हवा में काफी मात्रा में जलाकर प्राप्त धुएं को कम्बल पर एकत्रित किया जाता है।
कार्बन के तीन समस्थानिक 6C12, 6C13 एवं 6C14 जिसमे एक रेडियो सक्रिय समस्थानिक होता है। यह एक beta – rays उत्सर्जक होता है।