प्रकृति में कार्बन विभिन्न रूपों (Form) में पाया जाता है, जिनको कार्बन के अपररूप (Allotropes of Carbon) कहते हैं।
जब कोई तत्व दो या दो से ज्यादा रूपों में उपस्थित होता है, तथा जिनके गुणधर्म एक-दुसरे से अलग-अलग होते है तो उस तत्व का यह गुण अपररूपता (allotropy) तथा ये विभिन्न रूप अपररूप (allotropes) कहलाते हैं।
कार्बन के अपररूपों (Allotropes of Carbon) दो भागों में बाँटा गया हैं-
एक शुद्ध रूप (Pure Form) होते है इनको हीरे की खानों से प्राप्त किया जा सकता हैं। ये खानें मुख्यतः दक्षिण अफ्रीका (South Africa), ब्राजील (Brazil), अमेरिका (America), रूस (Russia) एंव भारत (India) में ही पाई जाती हैं। विश्व के समस्त हीरों का लगभग 95 प्रतिशत हीरा दक्षिण अफ्रीका से प्राप्त किया जाता है।
ग्रेफाईट शब्द का निर्माण ग्रेफो (Grapho) से हुआ है जिसका मतलब होता है- लिखना। ग्रेफाइट को शुरू में सीसे का अपररूप (Allotrope) मान कर प्लुम्बेगो (Plumbago) अथवा कालासीसा कहा जाता था।
इसीलिए लिखने वाली पेन्सिल को सीसा पेन्सिल (Lead Pencil) कहते है जबकि पेन्सिल में सीसा नहीं ग्रेफाईट पाया जाता है, जो की कार्बन का अपररूप होता है तथा एक प्रकार की अधातु (Non-Metal) होती है।
यह कार्बन का एक क्रिस्टलीय अपररूप होता है। सर्वप्रथम इसकी खोज सन 1985 में हुई है। फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक संख्या में कार्बन परमाणु मौजूद हैं।
जिस अपररूप मे कार्बन परमाणु एक अनिश्चित सुव्यवस्था में व्यवस्थित रहते हैं, अक्रिस्टलीय अपररूप कहलाते हैं। शक्कर को गर्म करके उसमें निहित जल का वाष्पीकरण कर दिया जाए अथवा शक्कर में दो-तीन मिली लीटर सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल (Conc H2SO4) डालने पर कला पदार्थ अवशेष के रूप में रह जाता है, इसे शर्करा चारकोल (Sugar charcoal) कहते हैं।