स्टडी मटेरियल

इलेक्ट्रॉन (Electron)

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इलेक्ट्रॉन या विद्युदणु ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत उपपरमाणविक कण होता है। यह परमाणु में नाभिक के चारो तरफ घूमता रहता हैं। इसका द्रव्यमान सबसे छोटे परमाणु (हाइड्रोजन) से भी हजारगुना कम ही होता है। परम्परागत रूप से इसके आवेश को ऋणात्मक माना जाता है और इसका मान1 परमाणु इकाई (e) निर्धारित किया गया है। इस पर -1.6E-19 कूलाम्ब परिमाण का ऋण आवेश होता है। इसका द्रव्यमान 9.11E−31 किग्रा होता है जो प्रोटॉन के द्रव्यमान का लगभग 1837 वां भाग है।

इलेक्ट्रॉन की खोज –

आइरिस भौतिकविद जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी (George Johnstone Stoney) ने 1894 में एलेक्ट्रों नाम का सुझाव दिया था। विद्युदणु की कण के रूप में पहचान 1897 में जे जे थॉमसन (J J Thomson) और उनकी विलायती भौतिकविद दल ने की थी।

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किसी उदासीन परमाणु में विद्युद अणुओं और प्रोटानों की संख्या एक समान ही होती है। इनकी आंतरिक संरचना का कोई पता नहीं है इसलिए इसे प्राय: मुख्य कण कहा जाता है। इनकी आंतरिक प्रचक्रण 1/2 होती है, अतः यह फर्मीय होते हैं। इलेक्ट्रॉन के प्रतिकण को पोजीट्रॉन कहा जाता है। द्रव्यमान के अलावा पोजीट्रॉन के सारे गुण जैसे – आवेश इत्यादि इलेक्ट्रॉन के ठीक उल्टे होते हैं। जब इलेक्ट्रॉन और पोजीट्रॉन की भिड़ंत होती है तो दोंनो पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं एवं दो फोटॉन का निर्माण होता है।

इलेक्ट्रॉन का इतिहास

इलेक्ट्रॉन, एक लेप्टॉन परिवार के पहली पीढी का एक सदस्य होता है, जो कि गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व एवं दुर्बल प्रभाव सभी में योगदान है। इलेक्ट्रॉन कण एवं तरंग दोनो प्रकार के व्यवहार को दिखाता करता है। बीटा-क्षय के रूप में यह कण जैसा व्यवहार करता है, जबकि यंग का डबल स्लिट प्रयोग (Young’s double slit experiment) में इसका किरण जैसा व्यवहार सिद्ध हुआ। चूंकि इसका सांख्यिकीय व्यवहार फर्मिऑन होता है और यह पॉली एक्सक्ल्युसन सिध्दांत का पालन करता है।

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कई भौतिकीय घटनाएं जैसे-विध्युत, चुम्बकत्व, उष्मा चालकता में विद्युदणु की मुख्य भूमिका होती है। जब विद्युदणु त्वरित होता है तो यह फोटान के रूप में ऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन करता है। प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के साथ मिलकर परमाणु का निर्माण करता है। परमाणु के कुल द्रव्यमान में विद्युदणु का भाग कम से कम 0.06 प्रतिशत होता है। विद्युदणु और प्रोटॉन के बीच लगने वाले कुलाम्ब बल (coulomb force) के कारण विद्युदणु परमाणु से बंधा होता है। दो या दो से अधिक परमाणुओं के विद्युदणुओं के आपसी आदान-प्रदान या साझेदारी के कारण रासायनिक बंध बनते हैं।

ब्रह्माण्ड में ज्यादातर विद्युद अणुओं का निर्माण बिग-बैंग के समय हुआ है, इनका निर्माण रेडियोधर्मी समस्थानिक (radioactive isotope) से बीटा-क्षय और अंतरिक्षीय किरणो (cosmic ray) के वायुमंडल में प्रवेश के समय तेज ऊर्जा टकराकर भी होता है।