जिस अभिक्रिया में दो या दो से अधिक अभिकारक एक साथ होकर एक एकल उत्पाद का निर्माण करते है उसे संयोजन अभिक्रिया कहा जाता है।
A+B → AB
उदाहरण के लिए दीवारों पर चूने से सफेदी करना। चूने को जब पानी में डालते है, तो बुझा हुआ चूने का निर्माण होता है अर्थात कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड (calcium hydroxide) और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) के साथ धीमी अभिक्रिया करके दीवारों पर कैल्शियम कार्बोनेट (calcium carbonate) की पतली प्लेट का निर्माण कर देते है।
CaO + H2O → Ca(OH)2
चूना + जल → बुझा हुआ चूना अथवा कैल्सियम हाइड्राक्साइड
Ca(OH)2 + CO2 → CaCO3+ H2O
कैल्सियम हाइड्राक्साइड + कार्बन डाइऑक्साइड → कैल्सियम + जल कार्बोनेट
इसे अवक्षेपण अभिक्रिया भी कहते है। कोयले का जलना भी संयोजन अभिक्रिया का हिस्सा है।
C(s) + O2 (g) → CO2 (g)
वह अभिक्रिया जिसमें एक अभिकारक के टुकड़े होकर कर दो या दो से अधिक उत्पाद का निर्माण करते है, वियोजन या अपघटन अभिक्रिया कहलाती है।
AB → A + B
यह अभिक्रिया तीन प्रकार की होती है-
वह अभिक्रिया जिसमें उष्मा प्रदान करके अभिकारकों को उत्पाद में तोड़ा जाता है, उसे ऊष्मीय वियोजन अभिक्रिया कहते है।
वह अभिक्रिया जिनमें अभिकारकों को सूर्य के प्रकाश में रखने पर यह उत्पाद में टूट जाते हैं, उसे प्रकाशीय वियोजन कहते हैं।
ऐसी अभिक्रिया विद्युत धारा प्रवाहित करने पर अभिकारक उत्पाद में खंडित हो जाते हैं, उसे विद्युत अपघटन या विद्युत वियोजन अभिक्रिया कहा जाता है।
2H2O → 2H2 + O2
जब किसी निम्न प्रतिक्रिया वाली धातु का साल्ट किसी उच्च प्रतिक्रिया वाली धातु से अभिक्रिया करता है तो उच्च प्रतिक्रियाशील धातु उस लवण में से निम्न प्रतिक्रिया वाली धातु को विस्थापित कर देता है। इस अभिक्रिया को विस्थापन अभिक्रिया कहा जाता हैं। विस्थापन अभिक्रिया के कुछ उदाहरण –
जब किसी कॉपर सल्फेट के मिश्रण में लोहे की कील को डाला जाता है तो कॉपर सल्फेट का नीला रंग परिवर्तित होकर हल्का हरा हो जाता है। ऐसा फेरस सल्फेट के निर्माण होने के कारण होता है। लोहे की कील पर भूरी परत के रूप में कॉपर मिलता है।
CuSO4 (कॉपर सल्फेट ) (aq) + Fe (s) → FeSO4 (फेरस सल्फेट) (aq) + Cu (s) (कॉपर)
इसी तरह से जिंक और लेड भी कॉपर सल्फेट के विलयन में से कॉपर को विस्थापित कर देते हैं क्योंकि वे कॉपर से अधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं।
ऐसी अभिक्रिया जिनमें आयनों का आदान-प्रदान होता है, उसे द्विविस्थापन अभिक्रिया कहा जाता है।
अभिक्रिया की गति के आधार पर रासायनिक अभिक्रियाओं को दो भागों में विभाजित किया जाता है-
ऐसी अभिक्रिया जिसको संपन्न होने में कई वर्ष, महीनों या दिन लग जाते हैं, मंद अभिक्रिय कहा जाता है।
जैसे लोहे के जंग लगना–
Fe + O2 + H2O → Fe2O3.3H2O
ऐसी अभिक्रिया जो कुछ ही सेकंड में पूरी हो जाती है तीव्र अभिक्रिया कहलाती है।
NaOH + HCl → NaCl + H2O
वह समय जिसमें अभिकारकों की आधी मात्रा उत्पाद में परिवर्तित हो जाती है, अर्द्ध आयु काल कहलाती है। जैसे प्रकाश सश्लेष्ण के लिए इसका मान 10-12 SEC होता है। अभिक्रिया की दिशा के आधार पर रासायनिक अभिक्रिया के दो प्रकार होते है –
ऐसी अभिक्रिया जो दोनों दिशाओं में संपन्न होती है, अर्थात इनमें अभिकारक से उत्पाद का निर्माण होता हैं और उत्पाद पुनः अभिकारक का निर्माण कर लेते हैं। यह साम्याव्यवस्था पर समान रूप से चलती रहती है।
N2 + 3H2 ⇌ 2NH3
ऐसी अभिक्रिया जो एक दिशा में ही संपन्न होती है अर्थात अभिकारक उत्पाद का निर्माण करते हैं, परंतु उत्पाद पुनः अभिकारकों में परिवर्तित नहीं होते। ऊष्मा के निष्कासन या अवशोषण के आधार पर अभिक्रिया दो प्रकार की होती है-
ऐसी अभिक्रिया जिसके दौरान ऊष्मा का निष्कासन होता है उसे ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहा जाता है।
जिस अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा का अवशोसीत होती है, उसे ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहा जाता है।
2HBr (हाइड्रोज़न ब्रोमाइड) → H2 + Br2
पदार्थों (परमाणुओं, आयनों या अणुओं) द्वारा एक या अधिक इलेक्ट्रॉन त्याग करने की प्रक्रिया को ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते है। तथा पदार्थों द्वारा एक या अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रक्रिया को अपचयन अभिक्रिया कहते है।
ऑक्सीकरण अभिक्रियाँ निम्न स्थितियों में होती है-
जब ऑक्सीजन का योग होता है –
जब हाइड्रोजन का निष्कासन होता है-
जब धन विद्युत की तत्व का निष्कासन होता है-
जब ऋण विद्युतीय तत्व का योग होता है-
2KI (पोटेशियम आईऑक्साइड ) + Cl2 → 2KCl + I2
जब इलेक्ट्रॉन का निष्कासन होता है-
अपचयन अभिक्रियाँ निम्न स्थितियों में होती है-
जब ऑक्सीजन का निष्कासन होता है-
जब हाइड्रोजन का योग होता है-
C2H4 (एथीन) + H2 → C2H6
जब धन विद्युतीय तत्व का योग होता है-
2FeCl3 (आयरन क्लोराइड)+ H2 → 2FeCl2 + 2HCl
जब ऋण विद्युतीय तत्व का निष्कासन होता है-
CuCl2 (कॉपर (द्वितीय) क्लोराइड) + Cu → Cu2Cl2
जब इलेक्ट्रॉन का योग होता है-
रेडोक्स अभिक्रियाँ (Redox Reaction):– जिस अभिक्रिया में ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों एक साथ-साथ होता है, तो इसे रेडोक्स अभिक्रियाँ कहते है।