साबुन दीर्घ श्रंखला वाले 12 से 18 कार्बन परमाणु वाले वसा अम्लों के सोडियम अथवा पोटेशियम के लवण होते हैं। इसके निर्माण में मुख्यता स्टेरिक, पामीटिक तथा ओलिक वसा अम्ल आदि का उपयोग किया जाता है।
जब इन अम्लों को सोडियम हाइड्रोक्साइड अथवा पोटेशियम हाइड्रोक्साइड के जलीय विलियन के साथ गर्म किया जाता है तब साबुन का निर्माण होता है यह प्रक्रिया साबुनीकरण कहलाती है
साबुन की रासायनिक अभिक्रिया –
C6H8O6 + 3NaOH – C3H8O3 + 3RCOONa + ऊर्जा
( वसा या वसीय अम्ल + NaOH या KOH → साबुन + ग्लीसराल )
विलयन से साबुन को पृथक करने के लिए सोडियम क्लोराइड का उपयोग किया जाता है। उच्च कार्बन परमाणु युक्त अम्लों के प्रयोग का प्रमुख कारण इनके लवणों की जल में विलेयता है। शेविंग क्रीम, शैंपू आदि में पोटेशियम के लवण उपयोग में लिए जाते हैं क्योंकि यह अत्यधिक मृदु होते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लिसराल सह उत्पाद के रुप में प्राप्त होता है जिसका प्रयोग पारदर्शी साबुन का निर्माण करने में किया जाता है।
कठोर जल के साथ प्रयोग करने पर साबुन अच्छे परिणाम नहीं देता है। कठोर जल में Ca+2 तथा Mg+2 जिनके द्वारा साबुन में उपस्थित सोडियम आयनों को प्रतिस्थापित कर दिया जाता है। इस प्रकार उच्च वसीय अम्लोंं के केल्सियम तथा मैग्नीशियम के लवणों का निर्माण किया जाता है जो कि जल में घुलते नहीं हैं। इन अघुलनशील लवणों का जलीय विलियन में अवक्षेपण हो जाता है।
इस प्रकार साबुन केवल जलीय विलियन के साथ ही अच्छे परिणाम दे पाते हैं तथा इस समस्या के समाधान स्वरुप कठोर जल में अपमार्जकों का प्रयोग किया जाता है।
साबुन बनाने के लिए महत्वपूर्ण अवयव तेल तथा क्षार होते हैं।
साबुन का निर्माण करने के लिए मुख्यतः दो विधियाँ अपनाई जाती हैं –
गर्म विधि (Hot Process)–
इस विधि एक अच्छी विधि माना जाता है, क्योंकि-
– साबुन बहुत शुद्ध रहता है। क्षार अथवा तेल की अधिकता नहीं रह पाती।
– ग्लिसराल जो प्रतिक्रिया का उपफल भी है, प्राप्त हो जाता है।
– यह विधि सस्ती है।
ठण्डी विधि (Cold Process)–
इस विधि में समय तो कम लगता है, परन्तु बने हुए साबुन में कुछ कमियां रह जाती है ये है –
– मुक्त क्षार अथवा तेल रह जाता है।
– ग्लिसरीन जो एक उपयोगी पदार्थ है, प्राप्त नहीं हो पाता।
– इस विधि तेल में उपस्थित अशुद्धियाँ साबुन में आ जाती हैं।
साबुन के विपरीत अपमार्जक का उपयोग कठोर तथा मृदु दोनों प्रकार के जल के में किया जाता है। इसलिए इनका प्रयोग अत्यधिक होता है। अपमार्जक एल्किल सल्फेट (R-O-SO3– Na+) तथा एल्किल बेंजीन सल्फोनेट (R-C2H5-SO3– Na+ ) के सोडियम लवण होते हैं। कठोर जल में Ca+2 तथा Mg+2 आयन होते हैं जिनके द्वारा अपमार्जक में उपस्थित सोडियम आयनों को भी प्रतिस्थापित कर दिया जाता है। लेकिन इस प्रकार बनने वाले लवण जल में घुल जाते होते हैं। इस वजह से यह जल में अवक्षेपित नहीं होते हैं तथा सफाई की क्रिया भली-भांति होती है।
अपमार्जक पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी उत्तरदायी होते हैं, क्योंकि जल में उपस्थित जीवाणु इनका अपघटन नहीं कर पाते हैं। इससे बचने के लिए कम शाखित हाइड्रोकार्बन श्रंखला वाले बेंजीन सल्फोनेट लवणों का इस्तेमाल किया जाता है जिन्हें जीवाणु आसानी से अपघटित कर पाते हैं। अपमार्जकों की क्षमता व गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए अकार्बनिक फास्फेट, सोडियम पर आक्सीबोरेट तथा कुछ प्रतिदीप्ति योगिक भी मिलाए जाते हैं।
1. धनायनिक अपमार्जक :
ये मुख्य रूप से चतुष्क अमोनियम लवण होते है इनका जल स्नेही सिरा धनायन होता है इसलिए इन्हें प्रतीप साबुन कहा जाता है, इनके अणुओं का बड़ा सा भाग धनावेशित होता है। ये अधिक महंगे होते है अत: इनका उपयोग सिमित होता है।
2. ऋणायनी अपमार्जक :
विशिष्ट ऋणायनी डिटर्जेंट एल्किलबेंजीन सल्फोनेट हैं। इन ॠणायन का एल्किलबेंजीन भाग लिपोफिलिक है और सल्फोनेट हाइड्रोफिलिक है। दो अलग-अलग किस्मों को लोकप्रिय बनाया गया है, जिनमें शाखित एल्काइल समूह और रैखिक एल्काइल समूह हैं।
3. उदासीन अपमार्जक :
आधुनिक अपमार्जक प्रायः उदासीन होते है ये मुख्यत: पोली हाइड्रोक्सी एल्कोहल एस्टर होते है इनमे जल स्नेही सिरा बहु क्रियात्मक समूह होता है जो H बंध द्वारा जल में विलेय होता है।
साबुन | अपमार्जक |
साबुन अच्छी तरह के तेल एवं वसा से बनाए जाते हैं। | अपमार्जक सस्ते तेल एवं वसा के द्वारा बनाए जाते हैं। |
साबुन में हानिकारक क्षार नहीं मिलाए जाते। | अपमार्जक में हानिकारक क्षार मिलाए जाते हैं। |
यह जल में घुलने में समय लेता है। | अपमार्जक जल में जल्दी से घुलते हैं। |
साबुन लंबी श्रंखला वाले कार्बोलिक अम्ल के सोडियम लवण होते हैं। | अपमार्जक लंबी श्रंखला वाले अम्ल हाइड्रोजन सल्फेट का सोडियम लवण होता है। |
साबुन धुलाई के काम के लिए उपयुक्त नहीं होता है | अपमार्जक को धुलाई के लिए प्रयोग किया जाता है |
साबुन जैव निम्नीकरणीय होते हैं। | कुछ अपमार्जक घटित नहीं होते। |
साबुन में मंद निर्मलन क्रिया होती है। | अपमार्जक में प्रबल निर्मलन क्रिया होती है। |
यह ऊनी कपड़ों के साथ अधिक व्यवहारिक नहीं होते। | यह ऊनी वस्त्रों के साथ अधिक व्यवहारिक होते हैं। |