अनंत पर मौजूद किसी परीक्षण आवेश को विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी बिंदु तक लेकर आने में जितना कार्य किया जाता है,वह उस बिन्दु का विद्युत विभव कहलाता हैं। दूसरे शब्दों में, किसी बिन्दु पर मौजूद ईकाई बिन्दुवत धनावेश में उपस्थित वैद्युत स्थितिज ऊर्जा, उस बिन्दु के विद्युत विभव के बराबर होती है। विद्युत विभव को Φ, तथा विभवांतर के बीच किया जाने वाले कार्य को ही विभव कहा जाता हैं। इसको ΦE या V के द्वारा दर्शाया जाता है।
विद्युत विभव का सूत्र :
V = W / Q
जहाँ-
W – अनंत से परीक्षण आवेश को विद्युत क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में किये गए कार्य को प्रदर्शित करता है
Q – परीक्षण आवेश को प्रदर्शित करता है
विद्युत विभव का SI मात्रक – वोल्ट ।
पृथ्वी का विभव – पृथ्वी का विभव 0 (शून्य) होता है।
(1) धनात्मक विभव
(2) ऋणात्मक विभव
1. धनात्मक विभव –
एकांक धनावेश को अनंत से विद्युत क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में विद्युत बल के विरुद्ध जो कार्य करना पड़ता है धनात्मक विभव कहलाता है।
2. ऋणात्मक विभव-
एकांक धनावेश को अनंत से विद्युत क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में विद्युत बल द्वारा जो कार्य किया जाता है, उसे बिंदु का ऋणात्मक विभव कहते है।
कोई भी दो बिन्दुओं के विद्युत विभवों का भेद विभवान्तर / पोटेन्शियल डिफरेन्स या ‘वोल्टता’ (voltage) कहलाता हैं। दूसरे शब्दों में, इकाई धनावेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक लेकर जाने में जो कार्य किया जाता है वह उन दो बिन्दुओं के मध्य का विभवान्तर कहलाता हैं। विभवान्तर का मापन वोल्टमापी द्वारा किया जाता है। किसी समय के साथ बदलने वाले चुम्बकीय क्षेत्र के कारण, किसी भी विद्युत धारा के द्वारा, किसी भी स्थैतिक विद्युत क्षेत्र के द्वारा या इनमें से किसी दो या अधिक के कारण ही वोल्टता उत्पन्न होती है।
विभवान्तर का SI मात्रक वोल्ट है, जिसे ( V ) द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
विभवांतर का सूत्र:-
Va-Vb = W/Q
जहाँ W आवेश को b बिंदु से a बिंदु तक लेकर जाने में किया जाने वाला कार्य है।
विभवांतर का मात्रक:-
विभवांतर का मात्रक =कार्य का मात्रक / आवेश का मात्रक
= जूल / कूलॉम या वोल्ट
विभवांतर का विमीय सूत्र:-
= कार्य का विमीय सूत्र / आवेश का विमीय सूत्र
= ML2T-2 / AT
= ML2T-3 A-1