विद्युत मोटर एक विद्युतयांत्रिक मशीन होती है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य करती है। विद्युत मोटर चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसे उपयुक्त विद्युत स्रोत से जोड़ने पर इसमें घूर्णन क्रिया होने लगती है जिसके परिणामस्वरूप इससे जुड़ी मशीन या यन्त्र भी घूमने लगते है। अर्थात यह विद्युत जनित्र के ठीक विपरीत काम करती है जो यांत्रिक ऊर्जा से विद्युत उर्जा का निर्माण करता है। कुछ मोटरें अलग-अलग स्थितियों में मोटर या जनरेटर (जनित्र) दोनो बन सकती हैं अर्थात दोनों की तरह कार्य कर सकती है।
विद्युत मोटर का आविष्कार – इंग्लैंड के माइकल फैराडे ने 1821 में किया था।
क्षेत्र चुंबक –
यह एक शक्तिशाली स्थाई चुंबक होता है जिसके ध्रुव खंड N व S होते हैं इस चुंबक के ध्रुवो के बीच पैदा हुई चुंबकीय क्षेत्र में आर्मेचर कुंडली घूमती है।
आर्मेचर –
यह अनेक फेरो वाली एक आयताकार कुंडली होती है जो जिसको कच्चे लोहे के क्रोड पर तांबे के तार के प्रतिकिक्त फेरे लपेटकर बनाया जाता है।
विभक्त वलय –
ये दो अर्धवृत्तकार वलयो अथवा दो खंडों में बंटा एक वलय के रूप में होते हैं आर्मेचर की कुंडली के सिरे इन दो भिन्न-भिन्न वलयों L व M से जुड़े होते हैं।
ब्रुश –
दो कार्बन ब्रुश X और Y है जो विभक्त वलय के बाहरी चालक सिरों P और Q के संपर्क में रहते है
विद्युत मोटरों का प्रमुख उद्देश्य विद्युतचुम्बकीय बल/बलाघूर्ण का निर्माण करके स्टेटर और रोटर के बीच आपेक्षिक गति (अर्थात किसी वाह्य बल/बलाघूर्ण के विरुद्ध बलाघूर्ण/बल लगाते हुए तथा रैखिक गति/घूर्णी गति करना) पैदा करना है। इस प्रकार विद्युत मोटर, विद्युत ऊर्जा ग्रहण करके यांत्रिक कार्य करती है।
मोटर की वाइंडिंग के धारावाही चालकों पर लगने वाला लॉरेंज बल निम्नलिखित समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है-
F = IL * B
या
F = ILBsinθ
जहाँ
L – लम्बाई को दर्शाता है
I – धारा को दर्शाता है
θ धारा की दिशा (धारावाही चालक की दिशा में) और
मोटर द्वारा निर्मित यांत्रिक शक्ति Pem निम्नलिखित समीकरण से दी जाती है।
Pem = angular speed * T (watts)
जहाँ शाफ्ट की कोणीय चाल रेडियन प्रति सेकेण्ड में तथा T न्यूटन-मीटर में होना जरुरी है।
रैखिक मोटरों के लिये–
Pem = F * v (watts)
जहाँ F न्यूटन में तथा वेग v मीटर प्रति सेकेण्ड में होगी।
DC मोटर एक ऐसी मशीन है, जिसको जब वैद्युत ऊर्जा दी जाती है तब वह उसे यान्त्रिक ऊर्जा में बदल देती है। डी.सी. मोटर का प्रयोग उस जगह होता है, जहाँ गति नियन्त्रण की आवश्यकता होती है। इसलिये प्रायः ट्रोली (trolleys), विद्युत रेलों तथा उत्पादन तन्त्र या लिफ्ट (elevators) इत्यादि में DC मोटरों का इस्तेमाल होता है। यह 1/100 H.P. से कई हजार H.P तक के कई आकारों में बनाई जा सकती है।
सिंगल फेज मोटर एक प्रकार का विद्युतीय मशीन होता है जो Single Phase Power Supply पर कार्य करता है। इसका उपयोग अधिकतर घरेलु, वाणिज्य तथा उद्योगों के लिए किया जाता है। सिंगल फेज मोटर्स का उपयोग मुख्यतः घरों और दुकानों में उपयोग होने वाले विद्युतीय उपकरणों में होता है। उदाहरण के लिए घर में उपयोग होने वाले पंखे, फ्रिज, मिक्सी, वाशिंग मशीन, एयर कंडीशनर इत्यादि में सिंगल फेज मोटर का उपयोग होता है।
टू फेज मोटर में अल्टरनेटर दो वाइंडिंग से होता है जो एक दूसरे से 90 डिग्री पर रखा होता है। उन्हें 2 लाइव और एक ग्राउंड वायर की जरूरत होती है जो दो चरणों में काम करते हैं। एक गति के लिए करंट को 240v तक बढ़ाता है, और दूसरा मोटर के उपयोग के लिए करंट की तरलता को बनाए रखता है।
टू फेज मोटर का निर्माण एकल-चरण मोटर के तरह ही किया जाता है और समान सिद्धांतों पर काम करता है। मुख्य अंतर यह है कि शुरुआती वाइंडिंग की भूमिका, जो सिंगल-फेज मोटर्स में पाई जाती है, एक घुमावदार सममित द्वारा मुख्य एक को 90 डिग्री से स्थानांतरित करके किया जाता है। 90 डिग्री के करीब एक फेज शिफ्ट प्राप्त करने के लिए, सिंगल फेज मोटर्स की तरह, एक सही कैपेसिटेंस वैल्यू वाले कैपेसिटर का उपयोग करना आवश्यक है।
यूनिवर्सल मोटर वह मोटर होती है जिसको AC एवं DC दोनो के द्वारा चलायी जा सकती है। घरों में उपयोग में आने वाला मिक्सर का मोटर यूनिवर्सल प्रकार का मोटर ही होता है। इसके अलावा रेलगाडी के इंजन खींचने के लिये (ट्रैक्शन मोटर) यूनिवर्सल मोटर का ही इस्तेमाल होता है क्योंकि इनकी चाल के साथ बलाघूर्ण के परिवर्तन का सम्बन्ध (टॉर्क-स्पीड हकैरेक्टरिस्टिक) इस कार्य के लिये बहुत उपयोगी है। यह मोटर कम चाल पर बहुत अधिक बलाघूर्ण उत्पन्न करता है जबकि चाल के बढने पर इसके द्वारा उत्पन्न किये गए बलाघूर्ण में कमी होती रहती है।
इसका एक मुख्य उपयोग शक्ति गुणांक को अच्छा बनाने (लगभग 1 करने के लिए) में किया जाता है। इसको चलाने के लिये कुछ अतिरिक्त व्यवस्था करना आवश्यक होता है। लेकिन सिन्क्रोनस जनित्र या अल्टरनेटर का बहुत इस्तेमाल होता है और दुनिया का अधिकांश विद्युत शक्ति अल्टरनेटरों के द्वारा ही पैदा की जा रही है। इस मोटर की लागत कम होती है।
प्रेरण मोटर एक सबसे सरल प्रत्यावर्ती धारा मोटर होती है, जो प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित होती है। यह मोटर सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है जिसके कारण इसे उद्योगों का वर्कहॉर्स कहा जाता हैं। इसमें घिसने के लिए कोई भी अवयव नहीं रहता है जिससे यह बिना मरम्मत किये भी काफी दिनो तक काम कर सकता है।
स्टेपर मोटर का उपयोग मुख्यतः स्थिति नियंत्रण एवं चाल-नियन्त्रण के लिए किया जाता है। इनको आंकिक निकायों (डिजिटल सिस्टम) की मदद से नियंत्रित करना बहुत आसान है। जैसे कि किसी माइक्रोकन्ट्रोलर की मदद से।