द्विनाम पद्धति (Binomial nomenclature) जीवों (जंतु एवं वनस्पति) के नामकरण की पद्धति है। 1753 ईस्वी में प्रसिद्ध वैज्ञानिक कैरोलस लिनिअस ने इसका प्रतिपादन किया। इसके अनुसार दिए गए नाम के दो अंग होते हैं, जो क्रमशः जीव के वंश (जीनस) और जाति (स्पीशीज) के द्योतक हैं। जैसे ‘एलिअम सेपा’ (प्याज)। यहाँ “एलिअम” वंश को और “सेपा” जाति को सूचित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय जंतु विज्ञान कांग्रेस वॉशिंगटन में द्वीनामकरण पद्धति अंग्रेजी एवं फ्रेंच भाषा में प्रकाशित की गई थी, जिसके नियम निम्नलिखित हैं:-
सामान्य नाम | वंश | जाति | वैज्ञानिक नाम |
मनुष्य | होमो | सेपियंस | होमोसेपियंस |
बिल्ली | फेलिस | डोमेस्टिका | फेलिसडोमेस्टिका |
कुत्ता | केनिस | फॅमिलियरी | केनिसफैमिलियरी |
गाय | बॉस | इंडिका | बॉसइंडिका |
घोड़ा | ईक्वस | कैबेलस | ईक्वसकैबेलस |
चीता | पैँथरा | पार्डुस | पैंथरापार्ड्स |
बाघ | पैँथरा | टाइग्रिस | पेंथेराटाइग्रिस |
मोर | पावो | क्रिस्टेसस | पावोक्रिस्टेसस |
हिरण | सर्वस | एलाफस | सर्वसएलाफस |
द्विनाम पद्धति (Binomial nomenclature) जीवों (जंतु एवं वनस्पति) के नामकरण की पद्धति है। अंतर्राष्ट्रीय जंतु विज्ञान कांग्रेस वॉशिंगटन में द्वीनामकरण पद्धति अंग्रेजी एवं फ्रेंच भाषा में प्रकाशित की गई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य जीव जन्तुओ के अध्ययन को सरल बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रत्येक जीव को एक वैज्ञानिक नाम देने की प्रक्रिया बनाई है।
वानस्पतिक नाम (botanical names) वानस्पतिक नामकरण के लिए अन्तरराष्ट्रीय कोड (International Code of Botanical Nomenclature (ICBN)) का पालन करते हुए पेड़-पौधों के वैज्ञानिक नाम को कहते हैं। वानस्पतिक नामकरण का मुख्य उद्देश्य यह है कि पौधों के लिए एक ऐसा नाम हो जो विश्व भर में उस पौधे के संदर्भ में प्रयुक्त हो।