स्टडी मटेरियल

मुहावरे

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मुहावरे की परिभाषा

ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये, मुहावरा कहलाता है।

दूसरे शब्दों में- मुहावरा भाषा विशेष में प्रचलित उस अभिव्यक्तिक इकाई को कहते हैं, जिसका प्रयोग प्रत्यक्षार्थ से अलग रूढ़ लक्ष्यार्थ के लिए किया जाता है।

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मुहावरे : भेद-प्रभेद

मुहावरों को निम्नलिखित आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है-

  1. सादृश्य पर आधारित
  2. शारीरिक अंगों पर आधारित
  3. असंभव स्थितियों पर आधारित
  4. कथाओं पर आधारित
  5. प्रतीकों पर आधारित
  6. घटनाओं पर आधारित
  1. (1) सादृश्य पर आधारित मुहावरे- बहुत से मुहावरे सादृश्य या समानता पर आधारित होते हैं।
    जैसे- चूड़ियाँ पहनना, दाल न गलना, सोने पर सुहागा, कुंदन-सा चमकना, पापड़ बेलना आदि।
  2. शारीरिक अंगों पर आधारित मुहावरे- हिंदी भाषा के अंतर्गत इस वर्ग में बहुत मुहावरे मिलते हैं।
    जैसे- अंग-अंग ढीला होना, आँखें चुराना, अँगूठा दिखाना, आँखों से गिरना, सिर हिलाना, उँगली उठाना, कमर टूटना, कलेजा मुँह को आना, गरदन पर सवार होना, छाती पर साँप लोटना, तलवे चाटना, दाँत खट्टे करना, नाक रगड़ना, पीठ दिखाना, बगलें झाँकन, मुँह काला करना आदि।
  3. असंभव स्थितियों पर आधारित मुहावरे- इस तरह के मुहावरों में वाच्यार्थ के स्तर पर इस तरह की स्थितियाँ दिखाई देती हैं जो असंभव प्रतीत होती हैं।
    जैसे- पानी में आग लगाना, पत्थर का कलेजा होना, जमीन आसमान एक करना, सिर पर पाँव रखकर भागना, हथेली पर सरसों जमाना, हवाई किले बनाना, दिन में तारे दिखाई देना आदि।
  4. कथाओं पर आधारित मुहावरे- कुछ मुहावरों का जन्म लोक में प्रचलित कुछ कथा-कहानियों से होता हैं।
    जैसे-टेढ़ी खीर होना, एक और एक ग्यारह होना, हाथों-हाथ बिक जाना, साँप को दूध पिलाना, रँगा सियार होना, दुम दबाकर भागना, काठ में पाँव देना आदि।
  5. प्रतीकों पर आधारित मुहावरे- कुछ मुहावरे प्रतीकों पर आधारित होते हैं।
    जैसे- एक आँख से देखना, एक ही लकड़ी से हाँकना, एक ही थैले के चट्टे-बट्टे होना, तीनों मुहावरों में प्रयुक्त ‘एक’ शब्द ‘समानता’ का प्रतीक है।
  6. (6) घटनाओं पर आधारित मुहावरे- कुछ मुहावरों के मूल में कोई घटना भी रहती है।
    जैसे- काँटा निकालना, काँव-काँव करना, ऊपर की आमदनी, गड़े मुर्दे उखाड़ना आदि।

मुहावरे एवं उनका वाक्य में प्रयोग

अक्ल पर पत्थर पड़ना -> बुद्धि भष्ट होना
विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने राम की पत्नी का अपहरण किया।

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अंक भरना -> स्नेह से लिपटा लेना
माँ ने देखते ही बेटी को अंक भर लिया।

अंग टूटना -> थकान का दर्द
इतना काम करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना -> स्वयं अपनी प्रशंसा करना
अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।

अक्ल का चरने जाना -> समझ का अभाव होना
इतना भी समझ नहीं सके ,क्या अक्ल चरने गए है ?

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अपने पैरों पर खड़ा होना -> स्वालंबी होना
युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।

अंगारों पर लेटना -> दुःख सहना
मैं जीवन भर अंगारों पर लोटता रहा हूँ।

अण्टी मारना -> चाल चलना
ऐसी अण्टीमारो कि बच्चू चारों खाने चित गिरें।

अन्धा बनाना -> धोखा देना
मायामृग ने रामजी तक को अन्धा बनाया था।

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अक्ल की दुम -> अपने को बड़ा होशियार लगानेवाला
दस तक का पहाड़ा भी तो आता नहीं, मगर अक्ल की दुम गणित का विद्वान बनता फिरता है।

अगले जमाने का आदमी -> सीधा-सादा, ईमानदार
आज की दुनिया ऐसी हो गई कि अगले जमाने का आदमी बुद्धू समझा जाता है।

अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना (संकट मोल लेना)- उससे तकरार कर तुमने अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारी है।

अब-तब करना (बहाना करना)- कोई भी चीज माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा।

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अब-तब होना (परेशान करना या मरने के करीब होना)- दवा देने से क्या ! वह तो अब-तब हो रहा है।

अंग-अंग ढीला होना (अत्यधिक थक जाना)-विवाह के अवसर पर दिन भर मेहमानों के स्वागत में लगे रहने से मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा हैं।

अंगारे उगलना (कठोर और कड़वी बातें कहना)- मित्र! अवश्य कोई बात होगी, बिना बात कोई क्यों अंगारे उगलेगा।

अंगारों पर लोटना (ईर्ष्या से व्याकुल होना)- मेरे सुख को देखकर रामू अंगारों पर लोटता हैं।

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अँगुली उठाना (किसी के चरित्र या ईमानदारी पर संदेह व्यक्त करना)- मित्र! हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे कोई हम पर अँगुली उठाए।

अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ना (थोड़ा पाकर अधिक पाने की कोशिश करना)- जब भिखारी एक रुपया देने के बाद और रुपए मांगने लगा तो मैंने उससे कहा- अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ते हो, जाओ यहाँ से।

अँगूठा छाप (अनपढ़)- रामेश्वर अँगूठा छाप हैं, परंतु अब वह पढ़ना चाहता हैं।

अंगूर खट्टे होना (कोई वस्तु न मिलने पर उससे विरक्त होना)- जब लोमड़ी को अंगूर नहीं मिले तो वह कहने लगी कि अंगूर खट्टे हैं।

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अंजर-पंजर ढीला होना (शरीर शिथिल होना या बहुत थक जाना)- दिन-भर भागते-भागते आज तो मेरा अंजर-पंजर ढीलाहो गया।

अंडे सेना (घर से बाहर न निकलना; घर में ही बैठे रहना)- रामू की पत्नी ने कहा कि कुछ काम करो, अंडे सेने से काम नहीं चलेगा।

अंतड़ियों के बल खोलना (बहुत दिनों के बाद भरपेट भोजन करना)- आज पंडित जी का न्योता हैं, आज वे अपनी अंतड़ियों के बल खोल देंगे।

अंतड़ियों में बल पड़ना (पेट में दर्द होना)- दावत में खाना अधिक खाकर मेरी तो अंतड़ियों में बल पड़ गए।

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अंतिम घड़ी आना (मौत निकट आना)- शायद रामू की दादी की अंतिम घड़ी आ गई हैं। वह पंद्रह दिन से बिस्तर पर पड़ी हैं।

अंधा बनना (ध्यान न देना)- अरे मित्र! तुम तो जान-बुझकर अंधे बन रहे हो- सब जानते हैं कि रामू पैसे वापस नहीं करता, फिर भी तुमने उसे पैसे उधार दे दिए।

अंधे के हाथ बटेर लगना (अनाड़ी आदमी को सफलता प्राप्त होना)- रामू मात्र आठवीं पास हैं, फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई। इसी को कहते हैं- अंधे के हाथ बटेर लगना।

अंधे को दो आँखें मिलना (मनोरथ सिद्ध होना)- एम.ए., बी.एड. करते ही प्रेम की नौकरी लग गई। उसे और क्या चाहिए- अंधे को दो आँखें मिल गई।

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अंधेर मचना (अत्याचार करना)- औरंगजेब ने अपने शासनकाल में बहुत अंधेर मचाया था।

अक्ल का अंधा (मूर्ख व्यक्ति)- वह अक्ल का अंधा नहीं, जैसा कि आप समझते हैं।

अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर फिरना (हर वक्त मूर्खता का काम करना)- रमेश तो हर वक्त अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता हैं- चीनी लेने भेजा था, नमक लेकर आ गया।

अक्ल घास चरने जाना (वक्त पर बुद्धि का काम न करना)- अरे मित्र! लगता हैं, तुम्हारी अक्ल घास चरने गई हैं तभी तो तुमने सरकारी नौकरी छोड़ दी।

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अक्ल ठिकाने लगना (गलती समझ में आना)- जब तक उस चोर को पुलिस के हवाले नहीं करोगे, उसकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी।

अगर-मगर करना (तर्क करना या टालमटोल करना)- ज्यादा अगर-मगर करो तो जाओ यहाँ से; हमें तुम्हारे जैसा नौकर नहीं चाहिए।

अपना रास्ता नापना (चले जाना)- मैंने रामू को उसकी कृपा का धन्यवाद देकर अपना रास्ता नापा।

अपना सिक्का जमाना (अपनी धाक या प्रभुत्व जमाना)- रामू ने कुछ ही दिनों में अपने मोहल्ले में अपना सिक्का जमा लिया हैं।

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अपना सिर ओखली में देना (जान-बूझकर संकट मोल लेना)- खटारा स्कूटर खरीदकर मोहन ने अपना सिर ओखली में दे दिया हैं।

अपनी खाल में मस्त रहना (अपने आप में संतुष्ट रहना)- वह तो अपनी खाल में मस्त रहता हैं, उसे किसी से कोई मतलब नहीं हैं।

अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना- (सबसे अलग रहना)- मोहन आजकल अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाते है।

अंगारों पर पैर रखना (अपने को खतरे में डालना, इतराना)- भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर देश की रक्षा करते है।

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अक्ल का अजीर्ण होना (आवश्यकता से अधिक अक्ल होना)- सोहन किसी भी विषय में दूसरे को महत्व नही देता है, उसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है।

अक्ल दंग होना (चकित होना)- मोहन को पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता लेकिन परीक्षा परिणाम आने पर सब का अक्ल दंग हो गया।

अक्ल का पुतला (बहुत बुद्धिमान)- विदुर जी अक्ल का पुतला थे।

अन्त पाना (भेद पाना)- उसका अन्त पाना कठिन है।

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अन्तर के पट खोलना (विवेक से काम लेना)- हर हमेशा हमें अन्तर के पट खोलना चाहिए।

अक्ल के घोड़े दौड़ाना (कल्पनाएँ करना)- वह हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है।

अपने दिनों को रोना (अपनी स्वयं की दुर्दशा पर शोक प्रकट करना)- वह तो हर वक्त अपने ही दिनों को रोता रहता हैं, इसलिए कोई उससे बात नहीं करता।

अलाउद्दीन का चिराग (आश्चर्यजनक या अद्भुत वस्तु)- रामू कलम पाकर ऐसे चल पड़ा जैसे उसे अलाउद्दीन का चिराग मिल गया हो।

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अल्लाह को प्यारा होना (मर जाना)- मुल्लाजी कम उम्र में ही अल्लाह को प्यारे हो गए।

अपनी डफली आप बजाना- (अपने मन की करना)- राधा दूसरे की बात नहीं सुनती, वह हमेशा अपनी डफली आप बजाती है।

अंग-अंग ढीला होना (थक जाना)- ऑफिस में इतना अधिक काम है कि शाम तक अंग-अंग ढीला हो जाता है।

अंग-अंग मुसकाना (अति प्रसन्न होना)- विवाह की बात पक्की होने की खबर को सुनते ही करीना का अंग-अंग मुसकाने लगा।

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अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना (हर समय मूर्खतापूर्ण कार्य करना)- जो आदमी अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता है उसे मैं इतनी बड़ी जिम्मेदरी कैसे सौंप सकता हूँ?

अगर मगर करना (टालमटोल करना)- मेरे एक दोस्त ने मुझसे वायदा किया था कि जब भी कोई जरूरत हो वह मेरी मदद करेगा। आज जब मैंने मदद माँगी तो अगर-मगर करने लगा।

अगवा करना (अपहरण करना)- मुरली बाबू के बेटे को डाकुओं ने अगवा कर लिया है और अब पाँच लाख की फिरौती माँग रहे हैं।

अति करना (मर्यादा का उल्लंघन करना)- भाई, आपने भी अति कर दी है, हमेशा अपने बच्चों को डाँटते ही रहते हो। कभी तो प्यार से बात किया करो।

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अपना-अपना राग अलापना (किसी की न सुनना)- सभी छात्र एक साथ प्रधानाचार्य के कमरे में घुस गए और लगे अपना-अपना राग अलापने। बेचारे प्रधानाचार्य सर पकड़कर बैठ गए।

अपनी राम कहानी सुनाना (अपना हाल बताना)- यहाँ के अधिकारियों ने तो अपने कानों में तेल डाल रखा है। किसी की सुनना ही नहीं चाहते।

अरमान निकालना (इच्छा पूरी करना)- हो गई न तुम्हारे मन की। निकाल लो मन के सारे अरमान।

अन्धों में काना राजा- (अज्ञानियों में अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना)

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अंकुश देना- (दबाव डालना)

अंग में अंग चुराना- (शरमाना)

अंग-अंग फूले न समाना- (आनंदविभोर होना)

अंगार बनना- (लाल होना, क्रोध करना)

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अंडे का शाहजादा- (अनुभवहीन)

अठखेलियाँ सूझना- (दिल्लगी करना)

अँधेरे मुँह- (प्रातः काल, तड़के)

अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक कर काम करना)

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अपना घर समझना- (बिना संकोच व्यवहार)

अड़चन डालना- (बाधा उपस्थित करना)

अरमान निकालना- (इच्छाएँ पूरी करना)

अरण्य-चन्द्रिका- (निष्प्रयोजन पदार्थ)

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