स्टडी मटेरियल

मृदा या मिट्टी

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भूमी की सबसे ऊपर की परत को जो पेड़-पौधों के उगने के लिए आवश्यक खनिज आदि प्रदान करती है, मृदा या मिट्टी कहते है। अलग अलग स्थानों पर अलग अलग प्रकार की मिट्टी पाई जाती है इनकी भिन्नता का सम्बन्ध वहां की चट्टानों की सरंचना, धरातलीय स्वरूप, जलवायु, वनस्पति आदि से होता है।

मिट्टी के अध्ययन के विज्ञान को मृदा विज्ञान यानी पेडोलोजी कहा जाता है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने भारत की मिट्टियों का विभाजन 8 प्रकार में किया है –

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मिट्टी की उर्वरता में कमी का कारण

तथ्य

मिट्टी का रंग मैग्नीशियम की अधिकता के कारण पीला होता है।

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मालाबार तट पर ‘केरल के पश्च जल’ में पाई जाने वाली पीट मृदा को ‘कारी‘ कहा जाता है

फलों को शीघ्र पकाने में ‘फाॅस्फोरस ’ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

वायुमंडल के नत्रजन का स्थिरीकरण करने वाली दलहनी फसलें चना, मटर, मूंग आदि है

परत अपरदन को किसान की मौत भी कहते है।

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चम्बल नदी क्षेत्र अवनालिका अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित है।