यह मेला मेड़ता सिटी (नागौर) में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन चेत्र मास के सुदी पक्ष में होता हैं नागौरी नस्ल से संबंधित है।
यह मेला परबतसर (नागौर) में आयोजित होता है। श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक चलता है। इस मेले से राज्य सरकार को सर्वाधिक आय होती है।
यह मेला मानासर (नागौर) में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन मार्गशीर्ष माह में होता है। इस मेले में नागौरी किस्म के बैलों की सर्वाधिक बिक्री होती है।
झालरापाटन (झालावाड़) में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन वैशाख माह में होता है। मालवी नस्ल से संबंधित है। यह पशु मेला हाडौती अंचल का सबसे बडा पशु मेला है।
झालरापाटन (झालावाड़) में कार्तिक माह में आयोजित होता है। मालवी नस्ल से संबंधित है।
कार्तिक माह मे आयोजित होता हैं। इस मेले का आयोजन पुष्कर (अजमेर) में किया जाता है। गिर नस्ल से संबंधित है।
नोहर (हनुमानगढ़) में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन भाद्रपद माह में होता है। हरियाणवी नस्ल से संबंधित है। राजस्थान का सबसे लम्बी अवधि तक चलन वाला पशु मेला है।
करौली मे फाल्गुन मास में आयोजित होता है। हरियाणवी नस्ल से संबंधित है।
इस मेले का आयोजन आश्विन मास में होता है। हरियाणवी नस्ल से संबंधित है।
तिलवाडा (बाड़मेर) में इस मेले का आयोजन होता है। यह मेला चैत्र कृष्ण ग्यारस से चैत्र शुक्ल ग्यारस तक लूनी नदी के तट पर आयोजित किया जाता है। थारपारकर (मुख्यतः) व काॅकरेज नस्ल की बिक्री होती है। देशी महीनों के अनुसार सबसे पहले आने वाला पशु मेला है।
बहरोड (अलवर) में आयोजित होता है। मुर्राह भैंस का व्यापार होता है।
सांचैर (जालौर) में आयोजित होता है।
रानीवाडा (जालौर) में आयोजित होता है। रानीवाड़ा राज्य की सबसे बडी दुग्ध डेयरी है।