भारत के संविधान में रेलवे को संघ सूची का विषय बनाया गया है। रेलवे विकास का दायित्व केंद्र सरकार के अन्तर्गत रेल मंत्रालय का है।
भारत में रेलमार्गों का निर्माण 1850 में तत्कालीन वायसराय लाॅर्ड डलहौजी के कार्यकाल में आरम्भ हुआ। देश में प्रथम रेलगाड़ी 22 दिसंबर 1851 को रूड़की में निर्माण कार्य के माल ढुलाई के लिए चलाई गई। आधिकारिक तौर पर 16 अप्रैल 1853 को देश की पहली रेलगाड़ी बोरीबंदर(मुंबई) से थाने के बीच(33.81 किमी.) चलाई गई। इस रेलगाड़ी को तीन लोकोमोटिव इंजनों साहिब, सिंध, और सुल्तान ने खींची थी। यह रेल ग्रेट-इण्डियन पेनिनस्यूलर रेलवे कम्पनी ने स्थापित की।
1925 में एटंवर्थ कमेटी की सिफारिश पर रेल बजट को आमबजट से अलग किया गया। 2017-18 में पुनः रेलवे बजट को आम बजट में शामिल कर लिया गया।
विश्व में सबसे प्राचीन चालु इंजन फेयरी क्वीन है। भारती की पहली विधुत रेल ‘डेक्कन क्वीन’ थी, जिसे 1929 में कल्याण से पुणे के बीच चलाया गया।
वर्तमान में भारत में कुल 68 रेलमंडल है जो 17 रेल जोन के अंतर्गत कार्य करते हैं। कोलकत्ता मेट्रो को 17वें रेलवे जोन के रूप में स्थापना की स्वीकृती 29 दिसंबर 2010 को मिली। बजट 2011-12 में 17वां रेलवे जोन बनाया गया। इसका मुख्यालय कोलकत्ता में है।
भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण 1951 में किया गया।
भारत में सबसे बड़ा जोन उत्तर रेलवे व सबसे छोटा जोन मेट्रो रेल्वे कोलकत्ता है। सिक्किम राज्य को रेल नेटवर्क से जोड़ने के हेतु “सिवोक रांगपो परियोजना” चलाई गई।
भारतीय रेल्वे अमेरिका, चीन व रूस के बाद विश्व में चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। 31 मार्च 2017 तक देश में रेलमार्गो की कुल लंबाई 67368 किमी. हो चुकी थी। भारत में रेलमार्गो की सर्वाधिक लंबाई उत्तर प्रदेश में है राजस्थान दुसरे स्थान पर है।
बांसवाड़ा जिला रेल लाइन से जुड़ा हुआ नहीं है। डुंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल लाइन प्रोजेक्ट पुरा होने पर यह रेल लाइन से जुड़ जाएगा।
इस रेल मार्ग के निर्माण के लिए 31 मई 2011 को नई दिल्ली में रेलवे बोर्ड व राज्य सरकार के बीच एमओयू साइन हुआ था। 3 जून 2011 को बांसवाड़ा में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा इस रेल लाइन का शिलान्यास किया गया। इसकी कुल लंबाई 176.4 किमी. है। देश में पहली बार किसी भी राज्य सरकार द्वारा ऐसी वृहत रेल परियोजना के लिए भूमि सहित 1250 करोड़ दिए जा रहे हैं।
उत्तर-पश्चिमी रेलवे की अंतरराष्ट्रीय रेल सेवा ‘थार एक्सप्रेस’ मुनाबाव(बाड़मेर) से खोखरापार(पाकिस्तान) के मध्य चलती है। जोधपुर से मुनाबाव(250 किमी.) जाने वाली ट्रेन ‘लिंक एक्सप्रेस’ कहलाती है।
सिमको की स्थापना वर्ष 1957 में हुई थी, जिसे 13 नवम्बर, 2000 को बंद कर दिया गया। 9 अक्टूबर, 2008 को इसे पुनः चालु किया गया। इसे टीटगढ़ वैगन्स लि. कम्पनी ने शुरू किया है।
यह केंन्द्र 9 अक्टूबर 1965 को स्थापित किया गया था। इस केद्र में भारत का सबसे बड़ा रेलवे माॅडल कक्ष है।
इस केंद्र का निर्माण पचपद्रा(बाड़मेर) में किया गया यहां तेज गति से चलने वाली ट्रेनों का परिक्षण यिा जाएगा।
जयपुर मेट्रो परियोजना के लिए केबिनेट ने जयपुर मेट्रो काॅर्पोरेशन का गठन 1 जनवरी 2010 को किया गया । मेट्रो का संचालन इसी कंपनी की द्वारा किया जाता है। 24 फरवरी, 2011 को जयपुर मेट्रो के प्रथम चरण का अधिकृत शिलान्यास किया गया। 3 जून, 2015 को जयपुर देश का छठा (कोलकत्ता, दिल्ली, बैंग्लोर, मुम्बई, गुड़गांव) शहर बना जहां मेट्रो रेल चली। जयपुर में वर्तमान में मेट्रो रेल लाइन की लम्बाई 9.63 किमी. है। प्रथम चरण में चांदपोल से मानसरोवर तक मेट्रो का शुभारम्भ किया गया है ।
जयपुर मेट्रो ट्रेक देश का पहला और एशिया का दुसरा एलिवेटेड ट्रेक है जहां जमीन से ऊपर एलिवेटेड रोड और उसके ऊपर ही गुजरती मेट्रो रेल, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एशिया का ऐसा पहला थ्री डेक ट्रेक है।