स्टडी मटेरियल

राजस्थान में वन सम्पदा

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राजस्थान का अधिकांश क्षेत्र मरुस्थल है अतः यहाँ वनों का क्षेत्रफल भारत के अन्य राज्यों से काम है।  पर अरावली एवं दाक्षिण पूर्वी राजस्थान में बहुतायत में वन पाए जाते है। 

राजस्थान में वनों की स्थिति

राजस्थान में वनों का वर्गीकरण

राजस्थान वन अधिनियम 1953 के अनुसार राजस्थान में वनों को तीन भागों में बांटा गया है।

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  1. आरक्षित / संरक्षित वन
    ये कुल वनों का 38.16 प्रतिशत है इन वनों पर सरकार का पूर्ण स्वामित्व होता है। इनमें किसी वन सम्पदा का दोहन नहीं कर सकते हैं।
  2. सुरक्षित / रक्षित वन
    ये कुल वनों का 53.36 प्रतिशत है। इन वनों के दोहन के लिए सरकार कुछ नियमों के आधार पर छुट देती है।
  3. अवर्गीकृत वन
    ये कुल वनों का 8.48 प्रतिशत है। इन वनों में सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क जमा करवाकर वन सम्पदा का दोहन किया जा सकता है।

राजस्थान में विभिन्न वन नीतियां 

भारत में सबसे पहले 1894 में ब्रिटिश सरकार ने वन नीति बनाई। स्वतंत्रता के पश्चात् 1952 में नई वन नीति बनाई गई। इस वन नीति को 1988 में संशोधित किया गया। इस नीति के अनुसार देश के 33 प्रतिशत भू भाग पर वन होने आवश्यक है।

राजस्थान में सर्वप्रथम 1910 में जोधपुर रियासत ने, 1935 में अलवर रियासत ने वन संरक्षण नीति बनाई। स्वतंत्रता के पश्चात् राजस्थान वन अधिनियम 1953 में पारित किया गया।

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राजस्थान में वनों के प्रकार

राजस्थान में मुख्यतः 4 प्रकार के वन पाए जाते है। 

शुष्क सागवान वन

ये वन बांसवाड़ा, चितौड़गढ़, प्रतापगढ़, उदयपुर, कोटा तथा बारां में मिलते है। बांसवाड़ा में सर्वाधिक है। ये कुल वनों का 7 प्रतिशत हैं इन वनों में बरगद, आम,तेंदुु,गुलर महुआ, साल खैर के वृक्ष मिलते है।

शुष्क पतझड़ वन

ये वन उदयपुर, राजसमंद, चितौड़गढ़, भीलवाड़ा, सवाई माधाुपुर व बुंदी में मिलते हैं। ये कुल वनों का 27 प्रतिशत हैं। इन वनों में छोकड़ा, आम, खैर , ढाक, बांस, जामुन, नीम आदि के वृक्ष मिलते हैं।

उष्ण कटिबंधीय कांटेदार वन

ये वन पश्चिमी राजस्थान जोधपुर, बीकानेर, जालौर, सीकर, झुंझनू में मिलते हैं। ये कुल वनों का 65 प्रतिशत हैं इन वनों में बबूल, खेजड़ी, केर, बेर, आदि के वृक्ष मिलते है।

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उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन

ये वन केवल माउंट आबू के चारों तरफ ही पाये जाते हैं। ये सघन वन वर्ष भर हरे – भरे रहते है। इन वनो का क्षेत्रफल मात्र 0.4 प्रतिशत है। इन वनों में आम, धाक, जामुन, सिरिस, अम्बरतरी, बेल के वृक्ष मिलते है।

राजस्थान में वन सम्पदा

  1. बांस – बांसवाड़ा, चितौड़गढ़, उदयपुर, सिरोही।
  2. कत्था – उदयपुर, चितौडगढ़, झालावाड़, बूंदी, भरतपूर।
  3. तेन्दुपत्ता – उदयपुर, चितौड़गढ़, बारां, कोटा, बूंदी, बांसवाड़ा।
  4. खस – भरतपुर, सवाईमाधोपुर, टोंक।
  5. महुआ – डुंगरपुर, उदयपुर, चितौड़गढ़,झालावाड़।
  6. आंवल या झाबुई – जोधपुर, पाली, सिरोही, उदयपुर।
  7. मोम – अलवर, भरतपुर, सिरोही, जोधपुर।
  8. गोंद  – बाड़मेर का चैहट्टन क्षेत्र।

राजस्थान में वानिकी कार्यक्रम

अरावली वृक्षारोपण योजना

अरावली क्षेत्र को हरा भरा करने के लिए जापान सरकार(OECF – overseas economic co. fund) के सहयोग से 01.04.1992 को यह परियोजना 10 जिलों (अलवर,जयपुर,नागौर, झुंझनूं, पाली, सिरोही, उदयपुर, बांसवाड़ा, दौसा, चितौड़गढ़) में 31 मार्च 2000 तक चलाई गई।

मरूस्थल वृक्षारोपण परियोजना

मरूस्थल क्षेत्र में मरूस्थल के विस्तार को रोकने के लिए वर्ष 1978 में 10 जिलों में चलाई गई। इस परियोजना में केन्द्र व राज्य सरकार की भागीदारी 75 : 25 की थी।

वानिकी विकास कार्यक्रम

वर्ष 1995-96 से लेकर 2002 तक जापान सरकार के सहयोग से यह कार्यक्रम 15 गैर मरूस्थलीय जिलों में चलाया गया।

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इंदिरा गांधी क्षेत्र वृक्षारोपण परियोजना

सन् 1991 में  इंदिरा गाँधी नहर परियोजना की नहरों के किनारे किनारे वृक्षारोपण एवं चारागाह हेतु यह कार्यक्रम जी जापान सरकार के सहयोग से चालाया गया। वर्ष 2002 में यह पूरा हो गया।

राजस्थान वन एवं जैविक विविधता परियोजना

वनों की बढोतरी के अलावा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु यह कार्यक्रम भी जापान सरकार के सहयोग से 2003 में प्रारम्भ किया गया। इन कार्यक्रमों के अलावा सामाजिक वानिकी योजना 85-86, जनता वन योजन 1996, ग्रामीण वनीकरण समृद्धि योजना 2001-02 एवं नई परियोजना (आदिवासी क्षेत्र में वनों को बढ़ाने हेतु) हरित राजस्थान 2009 अन्य वनीकरण के कार्यक्रम है।

राजस्थान में वनों से जुड़े तथ्य

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