स्टडी मटेरियल

वन्य जीव एवं अभ्यारण्य

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राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान (National Parks)

राजस्थान में कुल 3  वन्य जीव राष्ट्रीय उद्यान है। केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित किया गया पशु-पक्षियों का स्थल राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है।

रणथम्बोर राष्ट्रीय उद्यान

  1. सवाईमाधोपुर जिले में स्थित इस अभयारण्य को 1 नवंबर,1980 को राज्य के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया।
  2. इस उद्यान को1974 में बाघ परियोजना के अंतर्गत चयनित किया गया।
  3. यह देश की सबसे कम क्षेत्रफल वाली बाघ परियोजना है।
  4. यह उद्यान अरावली तथा विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य 392 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
  5. राष्ट्रीय स्मारक घोषित रणथंभौर दूर्ग इस उद्यान में स्थित है।
  6. इस उद्यान में बाघ, बघेरा, चीतल, सांभर, नीलगाय, रीछ, जरख एवं चिंकारा पाए जाते हैं।
  7. धौंक वृक्ष तथा ढाक वनस्पतियां इस उद्यान में पाई जाती है।
  8. आरक्षित क्षेत्र घोषित हो जाने पर रणथंभौर बाघ परियोजना को रामगढ़ (बूंदी) अभयारण्य से जोड़ दिया गया है।
  9. रणथंभौर उद्यान क्षेत्र में पदम तालाब, राजबाग, मलिक तालाब, गिलाई सागर, मानसरोवर एवं लाभपुर झीलें स्थित है।

केवलादेव (घना) राष्ट्रीय उद्यान

  1. एशिया में पक्षियों की सबसे बड़ी प्रणय (प्रजनन) स्थली, पक्षी प्रेमियों का तीर्थ, हिम पक्षियों का शीत बसेरा, पक्षियों का स्वर्ग आदि नामों से प्रसिद्ध यह उद्यान भारत के प्रमुख पर्यटन परिपथ ‘सुनहरा त्रिकोण’ (दिल्ली-आगरा-जयपुर) पर स्थित है।
  2. 1981 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
  3. सन् 1985 में 29 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले इस उद्यान को यूनेस्को द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया गया।
  4. यहां साइबेरियन क्रेन, दुर्लभ साइबेरियन सारस, गीज, पोयार्ड, लेपबिंग, बेगर्टल एवं रोजी पोलीकन नामक पक्षी पाए जाते हैं।

मुकन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान

  1.  9 जनवरी, 2012 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
  2. यह कोटा व चितौड़गढ़ में 199.55 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
  3. मुकन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान का नाम दर्रा था। बाद में 2003 में इसका नाम राजीव गांधी नेशलन पार्क कर दिया गया। 
  4.  गागरोन दुर्ग, अबली मीणी महल, रावण महल, भीमचोरी मन्दिर इसी अभयारण्य में है।
  5. मुकुन्दरा हिल्स के शैलकियों आदि मानव द्वारा उकेरी गई रेखायें मिलती है।

राजस्थान में वन्य जीव अभयारण्य

सरिस्का वन्य जीव अभयारण्य-

राष्ट्रीय मरू उद्यान-

जयसमंद वन्य जीव अभयारण्य-

तालछापर अभयारण्य

वन विहार अभयारण्य

मांउट आबू अभयारण्य

जवाहर सागर अभयारण्य

गजनेर वन्य जीव अभयारण्य

कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य-

रामगढ़ विषधारी अभयारण्य

सीतामाता अभयारण्य

कनक सागर पक्षी अभयारण्य 

राष्ट्रीय चंबल घड़ीयाल अभयारण्य

नाहरगढ़ जैविक अभयारण्य

जमवा रामगढ़ वन्य जीव अभयारण्य

भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य (चितौड़गढ़)

शेरगढ़ अभयारण्य

बंध बरेठा

फुलवारी की नाल अभयारण्य

बस्सी अभयारण्य

रावली टाडगढ़ अभयारण्य

केलादेवी अभयारण्य

सज्जनगढ़ अभयारण्य

राजस्थान में आखेट निषेध क्षेत्र

आखेट निषेध क्षेत्र वे क्षेत्र है जहाँ पर शिकार करना कानूनन अपराध है। राजस्थान में ऐसे कुल 33 क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। जोधपुर में सर्वाधिक 7 आखेट निषेध क्षेत्र है। 

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  1. बागदड़ा – उदयपुर
  2. बज्जु – बीकानेर
  3. रानीपुरा -टोंक
  4. देशनोक – बीकानेर
  5. दीयात्रा – बीकानेर
  6. जोड़ावीर – बीकानेर
  7. मुकाम – बीकानेर
  8. डेचुं – जोधपुर
  9. डोली – जोधपुर -काले हिरण के लिए
  10. गुढ़ा – बिश्नोई – जोधपुर
  11. जम्भेश्वर – जोधपुर
  12. लोहावट – जोधपुर
  13. साथीन – जोधपुर
  14. फिटकाशनी – जोधपुर
  15. बरदोद – अलवर
  16. जौड़ीया – अलवर
  17. धोरीमन्ना – बाड़मेर
  18. जरोंदा – नागौर
  19. रोतू – नागौर
  20. गंगवाना – अजमेर
  21. सौंखलिया- अजमेर – गोडावण
  22. तिलोरा – अजमेर
  23. सोरसन – जालौर – गोडावण
  24. संवत्सर-कोटसर- चुरू
  25. सांचैर – जालौर
  26. रामदेवरा – जैसलमेर
  27. कंवाल जी – सा. माधोपुर
  28. मेनाल – चितौड़गढ़
  29. महलां – जयपुर
  30. कनक सागर – बूंदी – जलमुर्गो
  31. जवाई बांध – पाली
  32. संथाल सागर – जयपुर
  33. उज्जला – जैसलमेर

राजस्थान में मृगवन

विभिन्न प्रकार के मृगों को विलुप्त होने से बचाने के लिए राजस्थान में 7 मृगवन घोषित किये गए है।  इन क्षेत्रों में मृग बहुतायत में पाए जाते है। 

  1. अशोक विहार – जयपुर
  2. चितौड़गढ़ मृगवन – चितौड़गढ़
  3. पुष्कर मृगवन – पुष्कर
  4. संजय उद्यान – शाहपुरा (जयपुर)
  5. सज्जनगढ़ मृगवन – उदयपुर – राज्य का दुसरा जैविक उद्यान
  6. अमृता देवी मृगवन  – खेजड़ली – भाद्रपद शुक्ल दशमी को मेला
  7. माचिया सफारी पार्क, जोधपुर – यहां देश का पहला मरू वानस्पतिक उद्यान किया जा रहा है।

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