भारत में वर्ष 1911 में भारत में वायु परिवहन की शुरूआत हुई। इलाहबाद से नैनी के बीच विश्व की सर्वप्रथम विमान डाक सेवा का परिवहन किया गया। इसके पश्यात वर्ष 1932 में जेआरडी(जहांगीर रतनजी दादाभाई) टाटा की कंपनी ने देश में पहली उड़ान भरी। यह कंपनी कराची से मद्रास तक साप्ताहिक विमान सेवा चलाती थी। बाद में इस कंपनी को सरकार ने अधिग्रहित(एयर इंडिया) किया।
1933 में इंडियन नेशनल एयरवेज कंपनी की स्थापना की गई। यह भारत की ध्वज-वाहक विमान सेवा है। एयर इंडिया ने 8 जून 1948 को भारत से पहली बार अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा की शुरूआत की थी। यह पहली अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा ब्रिटेन के लिए थी।
1953 में वैमानिक कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया और उन्हें दो नवनिर्मित निगमों के अधीन रखा गया।
भारतीय विमान निगम देश के आंतरिक भागों के अतिरिक्त समीपवर्ती देश नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, म्यानमार तथा मालदीव को अपनी सेवाएं उपब्ध कराता है।
एयर इंडिया विदेशों के लिए सेवाएं उपलब्ध कराता है।
1981 वायुदूत निगम की स्थापना देश में घरेलू उड़ान के लिए तीसरे निगम के रूप में की गयी थी, जिसका बाद में भारतीय विमान निगम में विलय हो गया।
1995 में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का गठन किया गया जो देश के 15 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों, 87 घरेलू हवाई अड्डों और 25 नागरिक विमान टर्मिनलों सहित 127 हवाई अड्डों का प्रबन्ध कर रहा है।
24 अगस्त 2007 को सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनियां एयर इंडिया एवं भारतीय विमान निगम का विलय हो गया। दोनों कंपनियां अब नेशनल एविएशन कंपनी आफ इण्डिया लिमिटेड के नाम से कार्यरत हो गयी है। कंपनी का ब्रांड नाम एयर इंडिया है।
एअर इंडिया भारत की ध्वज-वाहक विमान सेवा है। इसका प्रतिक उड़ते हुए हंस में नारंगी रंग का कोणार्क चक्र है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और निगमित कार्यालय मुम्बई में। इसका शुभंकर महाराजा है।
राजस्थान का पहला फ्लाइंग क्लब 1929 में जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने शुरू किया।
राजस्थान में जुलाई 1950 में 2 वायु सेवाएं कार्य कर रही थी एक एयर इंडिया जो मुंबई अहमदाबाद जयपुर दिल्ली मार्ग पर और दूसरी इंडियन नेशनल एयरवेज कंपनी दिल्ली जोधपुर कराची मार्ग पर अपनी सेवाएं क्रमशः जयपुर और जोधपुर को प्रदान कर रही थी
1 अगस्त 1953 को वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
इसका गठन 1 अप्रैल 1955 को भारतीय अंतरराष्ट्रीय विमानपत्तन प्राधिकरण और राष्ट्रीय विमानपत्तन प्राधिकरण को मिलाकर किया गया
20 दिसंबर 2006 को नागर विमानन निगम की स्थापना राजस्थान में की गई।
नागरिक उड्डयन गतिविधियों के संचालन हेतु राज्य में नागरिक उड्डयन विभाग के नियंत्रणाधीन निदेशालय नागरिक विमान स्थापित है जिसका गठन 1 अप्रैल 2012 को किया गया था इससे पहले राजस्थान में 20 दिसंबर 2006 को नागर विमानन निगम लिमिटेड की स्थापना की गई थी इसका उद्देश्य राजस्थान सरकार के पास उपलब्ध हेलीकॉप्टर और वायुयान का वाणिज्यिक उपयोग करने के लिए प्रस्ताव तैयार करना है
राजस्थान में कुल १० हवाई अड्डे है, इनमे से कुछ हवाई अड्डे नागरिक हवाई अड्डे है जबकि कुछ हवाई अड्डों का उपयोग सिर्फ वायु सेना के लिए किया जा जाता है।
सांगानेर हवाई अड्डे से 7 फरवरी 2002 को दुबई के लिए वायुसेवा शुरू की गई। केन्द्र सरकार द्वारा सांगानेर अड्डे को 29 दिसम्बर 2005 को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा(अधिसुचना फरवरी, 2006) दिया।
उदयपुर जिले में डबोक नामक स्थान पर स्थित महाराणा प्रताप हवाई अड्डे को भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया गया है।
किशनगढ़ हवाई अड्डे के संचालन के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोड मिल गया है। इसे वीआईकेजी नाम दिया गया है। इंटरनेशनल सिविल एविएशन आॅर्गनाइजेशन ने यह कोड दिया है। 11 अक्टूबर, 2017 को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा इस हवाई अड्डे का उद्घाटन किया गया।
कोटा में स्थित यह हवाई अड्डा घरेलू हवाई अड्डा है यहां से 18 अगस्त, 2017 से जयपुर के बीच सीधी हवाई सेवा प्रारम्भ की गई है। यह हवाई सेवा राज्य सरकार एवं सुप्रीम एयर लाइन्स कंपनी के बीच हुए समझौते के तहत शुरू की गई है।
यह नागरिक व सेना दोनों को हवाई अड्डा है जिसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जाता है तथा इसे भारतीय वायु सेना के साथ साझा किया जा रहा है।