19 अगस्त, 2020 को उत्तर प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति शुरू की। इसका लक्ष्य पांच साल में 40,000 करोड़ रुपये का निवेश लाना है। इस नीति का उद्देश्य बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्रों का विकास करना है।
इस नीति का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को एक वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स हब बनाना है। इसके अलावा, यहनीति COVID-19 संकट के बाद अपने निवेशकों को भारत में स्थानांतरित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करेगी।
उत्तर प्रदेश विनिर्माण नीति, 2017 एक बड़ी सफलता थी और इसने निवेश और रोजगार सृजन के उच्च लक्ष्य को प्राप्त किया। उदाहरण के लिए, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र, नोएडा और ग्रेटर नोएडा को दुनिया में उभरते हुए मोबाइल विनिर्माण हब के रूप में स्थापित किया गया। यह अब देश में भारी विदेशी निवेश आकर्षित कर रहा है।
इस नीति का उद्देश्य पीएम मोदी के इलेक्ट्रॉनिक सामानों के शून्य आयात के दृष्टिकोण को प्राप्त करना है।
यह नीति वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो रही है। यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित की गयी थी। यह नीति इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की परिकल्पना करती है। यह नीति इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 5 जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी, रोबोटिक्स, फोटोनिक्स, मशीन लर्निंग, सेंसर पर केंद्रित है। इसमें सॉवरेन पेटेंट फंड बनाने का प्रस्ताव है।
सॉवरेन पेटेंट फंड बौद्धिक सम्पदा को बनाने में मदद करता है जो राष्ट्रीय आर्थिक उद्देश्यों को बढ़ावा देता है। इसी तरह के फंड केवल फ्रांस, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान और चीन में पाए जाते हैं।
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