16 मार्च, 2020 को अमेरिका ने COVID-19 के टीके का मूल्यांकन करने वाला पहला मानव परीक्षण शुरू किया। इस टीके के परीक्षण के लिए यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ वैक्सीन का परीक्षण करने के लिए 18 वर्ष से 55 के बीच के 45 स्वस्थ वयस्क स्वयंसेवकों को एनरोल करेगा।
हाल ही में वाशिंगटन के एक स्वास्थ्य स्वयंसेवक कैसर पेर्मांटे को इसवैक्सीन का इंजेक्शन लगाया गया। वैक्सीन को मॉडर्ना नामक एक निजी फर्म द्वारा विकसित किया गया है।
COVID-19 के टीकाकरण के तहत, तीन अलग-अलग खुराकों का परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण के चरण के दौरान, यह अध्ययन किया जाना है कि क्या टीके सुरक्षित हैं और क्या वे COVID -19 को रोकने के लिए एंटीबॉडी बनाने के लिए मनुष्यों की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करते हैं।
हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने घोषणा की कि भारत को कोरोना वायरस के खिलाफ टीका विकसित करने में कम से कम दो वर्ष लग जायेंगे। हालांकि भारत वायरस के स्ट्रेन को अलग करने में सफल रहा, परन्तु देश के लिए इस बीमारी के खिलाफ टीका विकसित करना काफी चुनौतीपूर्ण है। इसका मुख्य कारण यह है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में क्लिनिकल परीक्षणों की संख्या बहुत कम है। वैश्विक क्लिनिकल परीक्षणों में भारत का योगदान केवल 2.7% है। दूसरी ओर अमेरिका का योगदान 47% है, जबकि यूरोपीय संघ का 18% और जापान का 11% योगदान है।
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