हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निजी प्रयोगशालाओं में COVID-19 परीक्षण को निःशुल्क करने के लिए कहा है। भारत सरकार ने पहले ICMR द्वारा अनुमोदित होने के बाद निजी प्रयोगशालाओं को COVID-19 का परीक्षण करने की अनुमति दी थी। इस परीक्षण की अधिकतम कीमत 4,500 रुपये निर्धारित की गयी है।
वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने फैसला सुनाया है कि यह परीक्षण उन प्रयोगशालाओं के माध्यम से किया जाना चाहिए जो परीक्षण और NABL, WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा प्रमाणित हैं।
वर्तमान में देश में 118 सरकारी लैब हैं जो 15,000 परीक्षण कर रही हैं। भारत में परीक्षण की दर को बढ़ाना होगा। इसलिए अधिक निजी प्रयोगशालाओं को इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने इसके लिए CSR फंड का उपयोग करने की सिफारिश की है। इसके द्वारा परीक्षणों को निजी प्रयोगशालाओं में भी मुफ्त किया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार को आदेश दिए हैं। डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों के कार्यों को बाधित करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने ने डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा पेशेवरों के लिए पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) की कमी पर भी चिंता जताई है।
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