विश्व भर में 10 अप्रैल को ‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। होम्योपैथी के संस्थापक जर्मनी के डॉ. क्रिश्चिन फ्रेडरिक सैमुएल हैनीमैन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में यह दिवस मनाया जाता है।
यह एक चिकित्सा पद्धति है। डॉ. क्रिश्चियन फ्राइडरिक सैम्यूल हैनीमैन होम्योपैथी चिकित्सा विज्ञान के जन्मदाता है। यह चिकित्सा के ‘समरूपता के सिंद्धात’ पर यह आधारित है। चिकित्सक का मुख्य कार्य होमियोपैथी पद्धति में रोगी द्वारा बताए गए जीवन-इतिहास एवं रोगलक्षणों को सुनकर उसी प्रकार के लक्षणों को उत्पन्न करनेवाली औषधि का चुनाव करना है। रोग के लक्षण एवं औषधि के लक्षण में जितनी अधिक समानता होगी रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी ही अधिक रहती है। चिकित्सक का अनुभव ही उसका सबसे बड़ा सहायक होता है।
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