30 जनवरी को विश्व कुष्ठरोग उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कुष्ठरोग को समाप्त करना तथा कुष्ठरोग से पीड़ित लोगों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करना है। कुष्ठरोग से पीड़ित लोग सामाजिक भेदभाव के कारण अक्सर अवसाद का शिकार हो जाते हैं। इसके इलाज के लिए पीड़ित को मल्टी-ड्रग थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है, इस थेरेपी के तहत पीड़ित को 6 माह से एक वर्ष तक दवाइयों का सेवन करना पड़ता है।
कुष्ठरोग एक संक्रामक बैक्टीरियल रोग है, यह मायकोबैक्टीरियम लेप्रे के कारण होगा है। यह रोग मुख्य रूप से त्वचा, सम्बंधित तंत्रिकाओं तथा आखों को प्रभावित करता है। भारत सरकार ने इस रोग को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय कुष्ठरोग निवारण कार्यक्रम शुरू किया है। भारत में अब कुष्ठरोग एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या नहीं है, इसका अर्थ यह है कि देश में 10,000 लोगों में से 1 व्यक्ति से कम इस रोग से प्रभावित है।
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