भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् (ICAR) के भारतीय पशुचिकित्सा अनुसन्धान संस्थान (IVRI) ने क्लासिकल स्वाइन फीवर को नियंत्रित करने के लिए नया टीका विकसित किया।
इस टीके से खरगोशों को बचाने में सहायता मिलेगी क्योंकि वर्तमान समय में Lapinised CSF (Classical Swine Fever) टीके का निर्माण खरगोश से किया जाता है।
इस नए टीके से दो वर्ष की प्रतिरक्षण क्षमता मिलेगी, जबकि मौजूदा टीके केवल 3 से 6 महीने की प्रतिरक्षण क्षमता प्रदान करते हैं।
CSF (Classical Swine Fever) सूअरों की सबसे बड़ी बिमारियों में से एक है, इससे भारत को प्रतिवर्ष लगभग 400 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। इसके कारण 2029 में सूअरों की जनसँख्या में कमी आई है।
वर्तमान में भारत को प्रतिवर्ष CSF (Classical Swine Fever) के टीके की 22 मिलियन डोज़ की आवश्यकता है। परन्तु वर्तमान में केवल 1.2 मिलियन डोज़ का उप्तादन किया जा रहा है। इस प्रमुख कारण यह है कि एक खरगोश की पलीहा (spleen) से केवल 50 डोज़ ही तैयार किये जा सकते हैं।
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