18 अगस्त, 2020 को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने “नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट”, 2020 जारी किया। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर रोगियों की संख्या 2025 तक बढ़कर 15.7 लाख हो जाएगी।
रिपोर्ट यह भी कहती है कि 2020 के अंत तक, देश में 13.9 लाख कैंसर रोगी होंगे। 2012 और 2016 के बीच 58 अस्पताल-आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों और 28 जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट का अनुमान लगाया गया है।
पुरुषों में पेट, फेफड़े, मुंह और अन्नप्रणाली के कैंसर आम हैं। दूसरी ओर, महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा और स्तन के कैंसर आम है। स्तन कैंसर के सबसे अधिक मरीज़ चेन्नई, हैदराबाद, दिल्ली और बेंगलुरु में हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सर्जरी, कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा के संयोजन प्रमुख उपचार हैं। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का आमतौर पर कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के साथ इलाज किया जाता है। फेफड़े और पेट के कैंसर का उपचार प्रणालीगत चिकित्सा से किया जाता है।
इस कार्यक्रम को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में फैले कैंसर रोगियों का अवलोकन करना है। साथ ही, इसका उद्देश्य देश में कैंसर की घटनाओं के अनुमानों की गणना करना है।
इस कार्यक्रम को “भारत में कैंसर के एटलस का विकास” भी कहा जाता है। भारत में कैंसर के प्रसार के बारे में इस तरह के एक एटलस या रिपोर्ट को पहली बार 2001-2002 में प्रकाशित की गयी थी।
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