हाल ही में रूस और भारत के बीच नई दिल्ली में गंगा-वोल्गा वार्ता का आयोजन किया गया। इस वार्ता का आयोजन भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के साथ मिलकर किया गया। इस इवेंट में भारत और रूस के कई गणमान्य विद्वानों ने हिस्सा लिया।
रूस के मुताबिक यह वार्ता ‘ग्रेटर यूरेशिया’ की नीति के लिए एक अच्छा प्लेटफार्म है, इस वार्ता की थीम ‘कनेक्टिविटी’ थी। इस वार्ता में डिजिटल कनेक्टिविटी, संस्कृति, पर्यटन, स्वास्थ्य, विनिर्माण प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, उद्यमशीलता इत्यादि पर चर्चा की गयी।
इस वार्ता में तीव्रता से बदलती हुई अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितयों पर चर्चा की गयी। इसके अलावा 2019 में व्लादिवोस्टोक में आयोजित भारत-रूस शिखर सम्मेलन में लिए ज्ञ निर्णयों के क्रियान्वयन के तरीकों पर चर्चा की गयी। इस शिखर सम्मेलन में भारत ने रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के लिए 1 अरब डॉलर की लाइन ऑफ़ क्रेडिट जारी करने की घोषणा की थी।
इस वार्ता में गंगा तथा वोल्गा नदी प्रणाली में आर्थिक गतिविधियों पर चर्चा की गयी। इस दौरान क्वाड समूह, भारत की ‘सागर’ नीति तथा CTSO (Collective Security Treaty Organization) के साथ भारत के सम्बन्ध के बारे में चर्चा की गयी।
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