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भारत की पहली बालिका पंचायत, जिसे “बालिका पंचायत” कहा जाता है, जिसकी शुरुआत गुजरात के कच्छ जिले के कई गांवों में की गई थी। बालिका पंचायत पहल का उद्देश्य लड़कियों के सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ राजनीति में लड़कियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है।
महत्वपूर्ण बिंदु
इसकी शुरुआत गुजरात के कच्छ जिले के कुनारिया, मोटागुआ, मस्का और वडसर गांवों में की गई।
“बालिका पंचायत” का प्रबंधन 11-21 वर्ष की आयु के लोग करते हैं।
मुख्य उद्देश्य बालिकाओं के सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देना है
बालिका पंचायत का सरपंच के रूप में 20 वर्षीय उर्मी अहीर को चुना गया है।
बालिका पंचायत का सदस्य ग्राम पंचायत की तरह ही मनोनीत होता है।