भारतीय वायुसेना के ए.एन. 32 विमान में स्वदेशी जेट जैव इन्धन का उपयोग किया गया, यह एक परीक्षण उड़ान थी। इस दौरान विमान ने लेह एअरपोर्ट पर सफल लैंडिंग की।
ऐसा पहली बार हुआ है जब एयरक्राफ्ट के दोनों इंजनों में जेट जैव इन्धन का उपयोग किया गया है। लेह 10,682 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित एयर फ़ील्ड्स पर एक है। इस क्षेत्र में वायु विक्षोभ तथा पर्वतों के कारण एयरक्राफ्ट को उड़ाना बेहद मुश्किल है।
जैव इंधन का उत्पादन वनस्पति तेल, रीसायकल किये गए ग्रीज़, शैवाल और पशु वसा से किया जाता है। यह अपेक्षाकृत स्वच्छ इंधन होता है और पर्यावरण के लिए अधिक नुकसानदेह नहीं होता। इसका उपयोग जीवाश्म इंधन के स्थान पर किया जा सकता है। नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय ने 10 अगस्त, 2018 (विश्व जैव इंधन दिवस) जैव इंधन पर राष्ट्रीय नीति 2018 जारी की थी। इसके तहत सरकार ने अगले चार वर्षों में एथेनॉल उत्पादन को चार गुना बढाने के लक्ष्य रखा है। इसके अतिरिक्त 2030 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल का मिश्रण किया जायेगा।
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