हाल ही में विद्या बाल नामक सामाजिक कार्यकर्ता का निधन हुआ। उन्होंने जीवन भर लैंगिक व सामाजिक समानता के लिए कार्य किया। उन्होंने ‘नारी समता मंच’ की स्थापना की थी, इसका उद्देश्य महिलाओं की समस्याओं का समाधान करना था। वे ‘मिलून सरयाजनी’ नामक पत्रिका की एडिटर भी थीं।
2016 में विद्या बाल ने मुंबई उच्च न्यायालय में हिन्दू धार्मिक स्थानों में महिलाओं के प्रवेश की मांग की थी। उन्होंने शनि शिंगनापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक के विरुद्ध जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने यह केस जीता जिससे महिलाओं को इस मंदिर में प्रवेश का अधिकार मिला। इसके अलावा उन्होंने कई अन्य धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी।
उन्होंने कमलकी और वल्वंतातिल नामक जीवनियां भी लिखी हैं। उनकी अन्य प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं : संवाद, कथा, गौरीची, तुमच्या, माझ्यासाठी, शोध स्वताहाचा, अपराजितांचे निःश्वास इत्यादि।
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