4 मार्च, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कंपनी अधिनियम, 2013 में 72 बदलावों को मंजूरी दी।
इन संशोधन का उद्देश्य 23 अपराधों को पुनः श्रेणीबद्ध करना है। संशोधन के तहत 50 लाख रुपये से कम कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) की बाध्यता वाली कंपनियों को एक CSV समिति का गठन करने की आवश्यकता नहीं होगी।
फाइलिंग को अधिक वैज्ञानिक बनाने के लिए इस अधिनियम में संशोधन किया जायेगा। इसके लिए एक नई धारा 129 A को शामिल किया जायेगा, जो समय-समय पर गैर-सूचीबद्ध कंपनियों (अधिनियम के तहत) के परिणाम दर्ज करेगी।
इन संशोधनों से निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी, विशेष रूप से विदेशी निवेश। यह संशोधन घरेलू कंपनियों को विदेशी मुद्रा पर सूचीबद्ध करने की अनुमति देता है। वर्तमान में, भारतीय कंपनियों के पास केवल जीडीआर (ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीद) और एडीआर (अमेरिकन डिपॉजिटरी रसीद) का ही विकल्प है।
कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR)
कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी नामक पहल की शुरुआत पर्यावरण तथा सामाजिक कल्याण कार्यों में कंपनियों के स्वेच्छिक योगदान के लिए की गयी थी। इसका मुख्य सिद्धांत यह है कि कंपनियां समाज से ही आय प्राप्त करती हैं अतः उन्हें भी समाज के लिए कुछ योगदान देना चाहिए।
कंपनी अधिनियम, 2013 के सेक्शन 135 में CSR की व्यवस्था की गयी है। मौजूदा नियम के तहत CSR के बारे में निर्णय लेने की शक्ति कंपनी के बोर्ड को दी गयी है। इस नियम के अनुसार 500 करोड़ रुपये शुद्ध मूल्य अथवा 1000 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर अथवा 5 करोड़ से अधिक शुद्ध लाभ करने वाली कंपनी को पिछले तीन वर्षों के शुद्ध लाभ के औसत का 2% CSR सम्बन्धी कार्यों के लिए खर्च करना पड़ता है। CSR गतिविधियों का वर्णन सातवीं अनुसूची में है।
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