भारत सरकार ने देश में आर्थिक मंदी को कम करने के लिए “प्रति चक्रीय राजकोषीय नीति” (Counter Cyclical Fiscal Policy) को अपनाया है। मुंबई में एक्सप्रेस अडा इवेंट में मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यम ने कहा कि प्रतिचक्रीय राजकोषीय नीति अतिरिक्त राजकोषीय अंतराल बनाने का एकमात्र तरीका है
भारत सरकार 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने की राह पर अग्रसर है। आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार धन-संपदा सृजन (wealth creation) इस लक्ष्य को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है। Wealth Creation के साथ, भारत सरकार ने आर्थिक मंदी को रोकने के लिए प्रति-चक्रीय राजकोषीय नीति उपाय को अपनाने की योजना बनाई है।
यह राजकोषीय उपायों के माध्यम से मंदी या उछाल का मुकाबला करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति है। मंदी के दौरान, प्रति-चक्रीय राजकोषीय नीति का उद्देश्य करों को कम करना और व्यय में वृद्धि करना होता है। इसका उद्देश्य देश में मांग उत्पन्न करना है ताकि देश में आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी लायी जा सके। दूसरी ओर, एक अर्थव्यवस्था में उछाल के दौरान, प्रति-चक्रीय राजकोषीय नीति का उद्देश्य करों को बढ़ाना और सार्वजनिक व्यय को कम करना होता है। उछाल को अधिक बढ़ावा देना विनाशकारी हो सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इससे मुद्रास्फीति और ऋण संकट बढ़ सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2017 द्वारा यह स्वीकार किया गया था। यह व्यवसाय के वर्तमान स्वरुप के अनुरूप होती है। उदाहरण के लिए, उछाल के दौरान, सरकार उछाल को बढ़ावा देने के लिए अपने व्यय में वृद्धि कर सकती है।
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