सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने सातवीं आर्थिक जनगणना को शुरू कर दिया है। पहली बार इस जनगणना को डिजिटल प्लेटफार्म के द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने कॉमन सर्विस सेंटर नेटवर्क (CSCN) के साथ साझेदारी की है।
दिल्ली 26वां राज्य/केंद्र शासित प्रदेश है जहाँ पर जनगणना को लांच किया जा रहा है। अब तक 20 राज्यों तथा 5 केन्र्द शासित प्रदेशों में आर्थिक जनगणना का कार्य शुरू हो चुका है। दिल्ली में आर्थिक जनगणना को पूरा होने में तीन महीने के समय लगेगा। इसके लिए 1.5 लाख लोग 35 करोड़ से अधिक संस्थानों में जाकर डाटा एकत्रित करेंगे।
इस जनगणना के तहत देश में मौजूद सभी इकाइयों को शामिल किया जाता है। देश में पहली बार आर्थिक जनगणना 1977 में की गयी थी। इसके दूसरे संस्करण का आयोजन 1980 में तथा तीसरे संस्करण का आयोजन 1990 में किया गया था। चौथी आर्थिक जनगणना 1998 में की गयी, जबकि पांचवीं जनगणना 2005 में की गयी। छठवीं आर्थिक जनगणना 2013 में की गयी थी।
इसका उद्देश्य विभिन्न आर्थिक पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त करना है। इसके तहत देश में मौजूद सभी आर्थिक इकाइयों, उनके वित्त स्त्रोत तथा कर्मचारियों की संख्या इत्यादि के बारे में जानकारी एकत्रित की जायेगी। यह जानकारी, गाँव, जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर एकत्रित की जाती है। इसका उपयोग अर्थव्यस्था की संरचना के अध्ययन के लिए किया जाता है। इससे अर्थव्यवस्था के सकल घरेलु उत्पाद में विभिन्न सेक्टरों के योगदान की जानकारी मिलेगी।
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