गुजरात के जूनागढ़ जिले के एक किसान वैज्ञानिक श्री वल्लभाई वस्तमभाई मारवानिया ने बायोफोर्टिफाइड गाजर विकसित की है। इस गाजर को स्थानीय रूप से “मधुबन गजर” कहा जाता है। यह बीटा कैरोटीन और आयरन से भरपूर होता है।
बायोफोर्टिफाइड गाजर किस्म से 150 से अधिक स्थानीय किसानों को लाभ मिल रहा है। इस किस्म की उपज 40 से 50 टन प्रति हेक्टेयर है। इस सीजन में 1000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में विभिन्न प्रकार की खेती की गई है।
बायोफोर्टिफाइड गाजर को चयन विधि के माध्यम से विकसित किया गया है। इसमें 277.75 mg / kg 27-कैरोटीन और 276.7 mg / kg लोहा है।
गाजर का सत्यापन परीक्षण नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा किया गया था जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत संचालित होता है।
वल्लभाई वस्तमभाई मारवानिया को कृषि के क्षेत्र में और गाजर के लिए विशिष्ट योगदान के लिए 2019 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
फ्रांस में 14 जुलाई को फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है…
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT मद्रास) के शोधकर्ताओं द्वारा ‘PIVOT’ नामक एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-बेस्ड उपकरण…
प्राकृतिक खेती सम्मेलन 10 जुलाई, 2022 को आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल…
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 6 जुलाई, 2022 को निर्माण श्रमिकों को उनकी क्षमताओं…
विश्व शांति मंच 2022 के दसवें संस्करण का आयोजन बीजिंग में सिंघुआ विश्वविद्यालय द्वारा किया…
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन…